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पोषण माह की सफलता के लिए बेबिनार पर मंथन

– वेबीनार बैठक का होगा आयोजन, दी जाएगी जानकारी
– शनिवार, 12 सितम्बर को अपराहृन तीन बजे से होगी वर्चुअल बैठक
– राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य ने पत्र भेजकर दी यह जानकारी
– एक सितम्बर से पोषण माह के तहत कई गतिविधियों का हो रहा है आयोजन
– बच्चे के जीवन के प्रथम एक हजार दिन पर दिए जाएंगे आवश्यक दिशानिर्देश

लखीसराय,अजय कुमार। जिले में एक से 30 सितंबर तक पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार द्वारा इस दौरान चलाए जा रहे कार्यक्रमों की सफलता के लिए उसकी सतत निगरानी के साथ आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए जा रहे हैं। इसी क्रम में डॉक्टर विजय प्रकाश राय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य ने जिले के सिविल सर्जन सह सदस्य, जिला स्वास्थ्य समिति को पत्र लिखा है। पत्र में पोषण माह के दौरान किए जाने वाले गतिविधियों से संबंधित वेबीनार के बैठक में भाग लेने के लिए विशेष दिशानिर्देश दिए गए हैं। पत्र में बताया गया है कि जिले में पोषण माह के तहत विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

– जागरुकता का अभियान
इस दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा जागरूकता के साथ गतिविधियां की जा रही हैं। पोषण माह के तहत कार्यक्रमों का आयोजन 30 सितम्बर तक होना है। इसकी सफलता के लिए समय-समय पर दिशा निर्देश भी दिए जाने जरूरी है। इसी के तहत पोषण माह के दौरान हो रही गतिविधियों जैसे अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन, स्तनपान को बढ़ावा, गृह आधारित नवजात की देखभाल, जीवन के प्रथम एक हजार दिन से संबंधित दिशानिर्देश जिला एवं प्रखंड के साथ साझा करने के लिए शनिवार 12 सितंबर की दोपहर 3 बजे से पांच बजे तक एक राज्य स्तरीय वेबीनार आयोजित होगी।

– बच्चे के जीवन के प्रथम एक हजार दिन पर रहेगा जोर
बैठक में बच्‍चे के विकास के प्रथम 1000 दिनों के पोषण को किस प्रकार से विभाजित करना है। महिला के गर्भावस्था में आयरन व फोलिक एसिड से भरपूर भोजन और छह माह के शिशु के लिए मां के दूध और सभी पोषक तत्वों की जरूरत और इस दिशा में संचालित कार्यक्रम और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कार्यप्रणाली को लेकर आवश्यक दिशानिर्देश दिए जाएंगे। दरअसर, बच्‍चों के लिए गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक का समय उनके सर्वांगीण विकास के लिए सबसे बेहतर अवसर होता है। इस दौरान बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास की आधारशिला तैयार होती है,जो पूरे जीवन बच्चे के काम आती है। लेकिन अक्सर जागरूकता के अभाव और कुपोषण के कारण यह आधारशिला कमजोर हो जाती है। इसलिए पोषण माह पर इसपर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

– वर्चुअल वेबीनार बैठक में इनकी रहेगी उपस्थिति
वर्चुअल वेबीनार बैठक में स्वास्थ्य संस्थान से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, जिला स्तर से जिला योजना समन्वयक, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक एवं प्रखंड स्तर से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक तथा डिलीवरी प्वाइंट के लेबर रूम प्रभारी भाग लेंगे। शनिवार को आयोजित होने वाले वेबीनार बैठक में भाग लेने के लिए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने संबंधित सभी जिला स्वास्थ सदस्य एवं सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि वह सभी प्रतिभागियों को बैठक में भाग लेने हेतु निर्देशित करेंगे।

– बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण पर बल
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर देवेद्र चौधरी ने बताया कि पोषण माह मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है, जिसका विकास, उत्पादकता, आर्थिक विकास और अंततः राष्ट्रीय विकास पर प्रभाव पड़ता है। पोषण माह के दौरान चल रहे कार्यक्रमों की सफलता के लिए शनिवार को वेबीनार बैठक का आयोजन होना है। राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, शिशु स्वास्थ्य का पत्र मिल चुका है। इसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं।

– छह माह बाद ऐसा हो बच्चे का ऊपरी आहार
नीना सिंह ने बताया कि लॉकडाउन से पहले आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह से 12 माह के बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर बच्चों के लिए 6 माह के बाद ऊपरी आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी जाती थी। अन्नप्राशन कराया जाता था। आंगनबाड़ी के बंद रहने पर सेविका व सहायिका को घर-घर जाकर ऊपरी आहार के विषय में परिजनों को जानकारी देने का कार्य करना है। छह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की जानकारी देनी है। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और फलों को शामिल करने के साथ भोजन बनाने और खिलाने के दौरान स्वच्छता का महत्व भी बताना है।