झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

पोषण और स्वच्छता की घर-घर पहुंच रही महत्ता

– जिले में एक से 30 सितम्बर तक मनाया जा रहा है पोषण माह
– कार्यक्रम और ​गतिविधियों से लोगों में देखी जा रही जागरूकता
– परिजनों को बताया जा रहा है स्वच्छता और पोषण का महत्व
– पर्यवेक्षिकाएं जगा रही हैं अलख, अभियान को मिल रहा है बल

लखीसराय, आजय कुमार। जिले में पोषण माह अभियान के तहत कई गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। विशेष कर पोषण और स्वच्छता को लेकर घर-घर अलख जगाया जा रहा है। लखीसराय आईसीडीएस की कार्यक्रम पदाधिकारी कुमारी अनुपमा सिन्हा ने बताया कि पोषण माह (एक से 30 सितम्बर) के दौरान गर्भवती, नवजात, बच्चों और कोशोरियों के पोषण पर तो बल दिया ही जा रहा है, साथ ही कोविड-19 और स्वच्छता की जरूरत को देखते हुए इसके लिए कई गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता और पर्यवेक्षिका गृहभ्रमण कर अपने पोषक क्षेत्र में स्वच्छता और पोषण की अलख जगा रही ​हैं। विशेष कर कोविड-19 को देखते हुए स्वच्छता का संदेश लेकर घर-घर तक पहुच रहीं हैं। इनकी जागरूकता भरी बातों को लोग आज सुनने के साथ अपनाने भी लगे हैं। साथ ही घर के सदस्यों के साथ आसपास और समुदाय स्तर पर एक सकारात्मक सोच भी पोषण और स्वच्छता को लेकर विकसित हो रही है।

समाज में पोषण और स्वच्छा की समझ विकसित करना लक्ष्य:
कुमारी अनुपमा सिन्हा ने बताया कि पोषण अभियान को जन-आंदोलन बनाते हुए समाज के प्रत्येक वर्ग तक पोषण और स्वच्छा की समझ को विकसित करना है। इसलिए घर से लेकर सामुदायिक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रह हैं। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा अभियान की सफलता एवं व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण के पांच सूत्र दिये गए हैं। इसमें शिशु के पहले एक हजार दिन, पौष्टिक व उपरी आहार, अनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है।

हर घर पोषण और स्वच्छता का त्यौहार:
कुमारी अनुपमा सिन्हा ने बताया कि 30 सितंबर तक पोषण माह को हर घर पोषण और स्वच्छता का त्यौहार के रूप में मनाया जा रहा है। जिले के विभिन्न प्रखंडों, पंचायतों व गांवों में स्वच्छता एवं पोषण जागरूकता को जनांदोलन का रूप देने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों व नवतात का उत्तम स्वास्थ्य, पोषण आवश्यकता के प्रति जागरूकता, गर्भावस्था जांच, पोषण देखभाल, शीघ्र स्तनपान व्यवहार, सही समय पर ऊपरी आहार को लेकर लोगों को जागरुक करना है। इसके अतिरिक्त शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन सेवा एवं खाद विविधता से 5 वर्ष तक के बच्चों की शारीरिक वृद्धि, निगरानी, किशोरी शिक्षा को शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से आंदोलन का रूप देना है।

‘हाथ धुलाई’ और पोषण कार्यक्रम से दिख रही सजगता:
रामगढ़ चौ​क, आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-21 की लाभार्थी सुनिता कुमारी बताती हैं कि एक समय लोग हाथों की सफाई को लेकर उतना जागरूक नहीं थे। राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान जब ‘हाथ धुलाई’ जैसे कार्यक्रम और गतिविधियों को अंजाम दिया जाने लगा तो लोगों में इसके प्रति जागरूकता देखी जाने लगी। वहीं कुपोषण को खत्म करने और नवजात और गर्भवती की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए जब पोषण का महत्व लगातार बताया जाने लगा तो लोगों में सकारात्मक सोच आने लगी। आज सभी बताएं निदेर्शों का पालन करते हैं। परिवार के सदस्य के साथ बच्चे तक बड़े ही उत्साह के साथ बताते हैं कि वे अब स्वास्थ्य और पोषण को लेकर सचेत रह रहे हैं।