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पोक्सो एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन पर सिविल कोर्ट में कार्यशाला आयोजित , पुलिस, मेडिकल ऑफिसर, प्रशासनिक पदाधिकारी समेत अन्य स्टेक होल्डर थे मौजूद

पोक्सो एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन पर सिविल कोर्ट में कार्यशाला आयोजित , पुलिस, मेडिकल ऑफिसर, प्रशासनिक पदाधिकारी समेत अन्य स्टेक होल्डर थे मौजूद

जमशेदपुर । जिला विधिक सेवा प्राधिकार जमशेदपुर द्वारा पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चाईल्ड फ्रॉम सेक्सूअल ऑफेंसेज) एक्ट 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन रविवार को सिविल कोर्ट स्थित लोक अदालत हॉल में किया गया. कार्यशाला में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट एस के उपाध्याय, अतिरिक्त जिला जज-4 राजेंद्र कुमार सिंहा, एसएसपी प्रभात कुमार, एपीपी राजीव कुमार, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ला समेत अन्य वक्ता मौजूद थे. तीन सत्र में आयोजित कार्यशाला के पहले सत्र में वक्ताओं ने पोक्सो एक्ट एवं इसका कैसे सही तरीके से क्रियान्वयन हो उस पर प्रकाश डाला. दूसरा सत्र टेक्निकल था. जिसमें न्यायिक पदाधिकारियों ने अनुसंधान एवं साक्ष्य पर प्रकाश डाला. साथ ही तीसरे टेक्निकल सेशन में पुलिस पदाधिकारी (अनुसंधानकर्ता) मेडिकल ऑफिसर (चिकित्सक) एवं लोक अभियोजक, सपोर्ट पर्सन की भूमिका पर प्रकाश डाला गया.

एक ही ढर्रे पर मेडिकल रिपोर्ट एवं पुलिस अनुसंधान चल रहा-एडीजे

कार्यशाला को संबोधित करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज संजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि जमशेदपुर में एक ही ढर्रे पर चिकित्सक की मेडिकल रिपोर्ट एवं पुलिस अनुसंधान की केस डायरी एवं चार्जशीट सौंपी जा रही है. जो एक्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों एवं अनुसंधानकर्ताओं से कहा कि वे अपनी जांच को एक्ट के प्रावधानों के तहत पूरा करें साथ ही तय फॉर्मेट में रिपोर्ट दें.

संवेदनशील बनें पुलिस पदाधिकारी-एसएसपी

कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरीय पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने कहा कि पोक्सो एक्ट के मामले में पुलिस को संवेदनशील बनने की जरूरत है. उन्हें एक्ट के तहत अपनी भूमिका को पहचानने तथा उसी के अनुरूप रोल अदा करना है. पोक्सो एक्ट के अनुसंधान में साइंटिफिक तरीके का इस्तेमाल काफी जरूरी है. मिलती-जुलती रिपोर्ट तैयार करने से बचें. पीड़िता का चौबीस घंटे के भीतर मेडिकल एवं बयान दर्ज करें एवं करवाएं. कार्यशाला में जिला जज अनिल कुमार मिश्रा ने पॉस्को एक्ट पीड़िता को न्याय दिलाने में मेडिकल टीम एवं पुलिस अनुसंधान कर्ता को साक्ष्य के आधार पर ईमानदारी पूर्वक पहल करने की नसीहत दी ताकि अपराधी किसी भी हालत में कानून की नजर से बच नहीं पाये और उसकी शिनाख्त शीघ्र हो सकें. वहीं स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल ने भी पॉस्को एक्ट को कारगर ढंग से क्रियान्वयन कैसे हो उसके बारे में विस्तार से बताया. कार्यशाला में अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में डालसा सचिव नितीश नीलेश सांगा सहित सिविल सर्जन डॉ. जुझार मांझी, एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. नकुल चौधरी, न्यायिक पदाधिकारी, डीसीपीओ, सीडीपीओ, डीएसपी, अधिवक्ता गण , मेडिकल ऑफिसर, लॉ स्टूडेंट्स, पीएलवी समेत अन्य स्टेक होल्डर मौजूद थे.