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पिछड़ा संघर्ष मोर्चा ने संक्रामक अध्यादेश का किया विरोध, सरकार से की संशोधन की मांग

झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश 2020 का बीजेपी समेत कई दलों और संगठनों ने विरोध किया है. बीजेपी ने भी इस अध्यादेश को काला पानी की सजा बताया है. वहीं सरायकेला में भी इसे लेकर विरोध
शुरू हो गया है. झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा ने भी सरकार के इस फरमान के प्रति नाराजगी जाहिर की है.

सरायकेला: झारखंड सरकार ने राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के रोकथाम को लेकर सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनने और सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करने वालों के विरुद्ध एक लाख जुर्माना और 2 साल जेल की सजा के प्रावधान पारित किया है. जिसका राज्य के विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं. इसके तहत झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा ने भी सरकार के इस फरमान के प्रति नाराजगी जाहिर की है.झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश पर झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है. मोर्चा ने जुर्माना और सरकार की ओर से तय सजा प्रावधान को काला अध्यादेश करार दिया है. झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा के वरीय प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार सोनी ने इस फरमान में सरकार से अविलंब संशोधन किए जाने की मांग की है. उन्होंने बताया कि मध्यम और पिछड़े वर्ग के लोगों पर इस सरकार का फरमान फिट नहीं बैठता, जुर्माने की राशि को 1000 किया जाना चाहिए और इसके तहत सर्वप्रथम लोगों को जागरूक करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कानून का दुरुपयोग भी किया जा सकता है और इससे भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने सरकार से इस प्रावधान में संशोधन करने की मांग की है.
बिहार की तर्ज पर मिले 35% आरक्षण
झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा ने एक बार फिर सरकार के सामने बिहार राज्य के तर्ज पर झारखंड में भी पिछड़ों को 35% आरक्षण दिए जाने की मांग उठाई है. प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष गंगा प्रसाद शर्मा ने कहा कि सरकार पिछड़े वर्ग की लगातार अनदेखी कर रही है, ऐसे में राज्य के पिछड़ा वर्ग में सरकार के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है. उन्होंने पिछड़ों को झारखंड में 35% और दिव्यांगों को 1% आरक्षण देने की मांग की है. उन्होंने साफ कहा है कि ऐसा नहीं करने पर राज्य में होने वाले आगामी उपचुनाव में पिछड़ा वर्ग सरकार का विरोध करेगी.