पंजाबी वेडिंग मतलब जमकर मस्ती। इस शादी में जमकर धमाल होता है और अपनों के बीच लोग एक-एक पल का मजा लेते हुए प्यारी यादों को बनाते जाते हैं। इस सबके बीच में दूल्हा और दुल्हन कई रीति-रिवाज का हिस्सा बनते हैं, जो उन्हें व उनके परिवार को धीरे-धीरे करीब आने और समझने में मदद करता है। ये रस्में सीढ़ी की तरह होती हैं, जिन पर चलते हुए जोड़ा शादी तक पहुंचता है और हमेशा के लिए एक-दूजे का हो जाता है। यही वजह है कि हर रस्म की खास अहमियत होती है।
रोका और सगाई
रोका सगाई से पहले होने वाली रस्म है। जैसा कि नाम से ही साफ है, इस रस्म का मतलब होता है कि अब दूल्हा-दुल्हन का रिश्ता एक-दूसरे से तय हो चुका है और वे अब किसी अन्य को अपने रिश्ते के लिए नहीं देखेंगे। इसमें दोनों परिवार आपस में तोहफे लेते-देते हैं और रिश्ता पक्का होने की खुशी मनाते हैं। आमतौर पर इसमें रिंग एक्सचेंज नहीं होती है, लेकिन आजकल कई कपल्स रोका में ही सगाई भी कर लेते हैं। रोका होने के बाद दोनों परिवार सगाई की तारीख तय करते हैं और फिर कपल एक-दूसरे को रिंग पहनाता है।
कीर्तन और ढोलकी
दूल्हे और दुल्हन दोनों के घर में पूजा और कीर्तन रखा जाता है, जिसमें विशेषतौर पर परिवार की महिलाएं हिस्सा लेती हैं। रिश्ते की शुभ शुरुआत के लिए रखे जाने वाला ये कार्यक्रम दिनभर चलता है और कभी-कभी देर रात को खत्म होता है। इसके बाद ढोलकी यानी संगीत सेरेमनी की बारी आती है। इसमें ढोल की थाप पर परिवार नाचता-गाता है। हालांकि, आजकल इसका रूप बदला हुआ है। मॉर्डन वेडिंग्स में डीजे का इंतजाम किया जाता है और दोनों परिवार के लोग अलग-अलग कोरियोग्राफ्ड परफॉर्मेंस देते दिखाई देते हैं।
मेहंदी सेरेमनी और जग्गो
ये एक बेहद अहम रस्म है। इसमें होने वाली दुल्हन के हाथ मेहंदी से सजाए जाते हैं, जिसके लिए परिवार की कोई महिला या फिर बाहर से आर्टिस्ट को बुलाया जाता है। होने वाली दुल्हन के हाथों के साथ ही पैरों को भी खूबसूरत ब्राइडल मेहंदी डिजाइन्स से सजाया जाता है और उसके गहरे रंग की रचने की आशा की जाती है। दूल्हे के हाथों में भी मेहंदी लगाई जाती है। वहीं जग्गो रस्म के दौरान होने वाली ब्राइड और ग्रूम रातभर जागते हैं और सबके साथ सेलिब्रेट करते हैं। इस दौरान दीये जलाए जाते हैं, जिन्हें दुल्हन की मामी अपने सिर पर लेकर चलती है।
हल्दी और चूड़ा
दूल्हा और दुल्हन के हाथ पीले करने के लिए उन्हें हल्दी लगाई जाती है। इसमें उनके परिवार के लोगों के साथ ही करीबी दोस्त भी शरीक होते हैं। लड़की को उसके मामा की ओर से चूड़ा चढ़ाया जाता है। इसे सब लोग छूते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। इसे पहनाने के दौरान दुल्हन की आंखें बंद रखी जाती हैं। बाद में चूड़े को कपड़े से कवर कर दिया जाता है।
सेहरा और घोड़ी चढ़ाना
लड़का जब दूल्हे के लिबास में तैयार हो जाता है, तो उसकी बहन उसे सेहरा पहनाती है। इसके बाद एक छोटी सी पूजा की जाती है। बहन अपने भाई को सूरमा भी लगाती है ताकि उसे किसी की बुरी नजर ना लगे। परिवार और दोस्त मिलकर उसे घोड़ी चढ़ाते हैं। उसके साथ छोटा बच्चा भी बैठता है, जो आमतौर पर भांजा-भतीजा या छोटा भाई होता है। पूरी बारात में वह दूल्हे के साथ ही रहता है।
मिलनी और कन्यादान
दूल्हे के पहुंचने पर लड़की वाले उनका स्वागत करते हैं। दोनों परिवार एक-दूसरे को गले लगाते हैं। दुल्हन तैयार होकर स्टेज पर पहुंचती है और जोड़ा एक-दूसरे को वरमाला पहनाता है। इसके बाद पूरे रिवाज के साथ फेरे लिए जाते हैं और लड़की के माता-पिता उसका कन्यादान करते हैं, जिसके बाद विदाई का भावुक कर देने वाला पल आता है।
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