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निजी अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत, परिजनों ने शव देने के लिए दो लाख मांगने का लगाया आरोप

रांची के एक मोहल्ले के कोरोना मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजनों ने मरीज के इलाज में लापरवाही और शव देने के एवज में दो लाख रुपये मांगने का आरोप लगाया ।रांचीः राजधानी के एक निजी अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत हो गई. इस मामले में मृतक के परिजनों ने शव देने के लिए दो लाख रुपये देने का आरोप लगाया है. इसके अलावा परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया है. हालांकि प्रबंधन ने आरोपों से इनकार किया है.

दर असल राजधानी के शैम्फोर्ड अस्पताल में रांची के निरमा झा को सांस में समस्या आने पर 4 सितंबर को भर्ती कराया गया था. 6 सितंबर को निरमा झा की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. गुरुवार को निरमा झा की इलाज के दौरान मौत हो गई. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. निरमा झा के बेटे अबिनास झा का कहना है कि अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा यह कहा जा रहा था कि कोरोना का इलाज किया जा रहा है लेकिन 11 दिन बाद भी मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव ही आई
निरमा झा के बेटे अबिनास झा ने प्रबंधन पर आरोप लगाया कि अस्पताल के चिकित्सकों की ओर से बिना बताए ही इलाज किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि जब बिल ज्यादा होने लगा तो उन लोगों ने मरीज को रिम्स रेफर करने की बात कही. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने निरमा झा के मौत होने की बात कह दी और बाकी बचे दो लाख रुपया जमा करने के बाद ही शव देने की बात कही. मामले की जानकारी पर झारखण्ड वाणी संवाददाता ने शैंफोर्ड अस्पताल के प्रबंधक दिवाकर मेहता से बात की तो उन्होंने कहा कि परिजनों का आरोप निराधार है. उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति काफी दयनीय थी. मरीज के इलाज में अस्पताल के चिकित्सकों ने पूरा प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्य से गुरुवार को मरीज की मौत हो गई. वहीं उन्होंने बाकी बचे 2 लाख रुपये जमा करने की बात पर कहा कि परिजनों पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से पैसे जमा करने के लिए दबाव नहीं बनाया गया. लाश को रखने की बात भी नहीं कही गई है क्योंकि मृतक कोरोना पॉजिटिव है ऐसे में आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार लाश परिजन को नहीं सौंपा जा सकता, उसे जिला प्रशासन को ही दिया जाएगा.
झारखंड सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निजी अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए दर तय की गई है. इसके मुताबिक कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अठारह हजार रुपये प्रतिदिन से अधिक नहीं लिया जा सकता है.