झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने सही सवाल किया है कि गिट्टी स्टोन चिप्स घोटाला और मनरेगा घोटाला में केवल उनके कार्यकाल के दो वर्षों की ही जाँच हो रही है

जमशेदपुर- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने सही सवाल किया है कि गिट्टी स्टोन चिप्स घोटाला और मनरेगा घोटाला में केवल उनके कार्यकाल के दो वर्षों की ही जाँच हो रही है या उनके पहले की सरकार के कार्यकाल की भी जाँच हो रही है? यह सवाल मैं विगत कुछ महीनों से उठाता रहा हूँ। भारतीय जनता पार्टी को भी यह सवाल उठाकर अपने भीतर की सफाई करनी चाहिए ताकि ईडी की विश्वसनीयता बरकार रहे।
ईडी ने मनरेगा घोटाला में पूजा सिंघल के खिलाफ और स्टोन चिप्स घोटाला में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के खिलाफ एक हजार करोड़ के घोटाला का चार्जशीट दाखिल किया है। पूजा सिंघल के विरूद्ध किए गये चार्जशीट में ईडी ने कहा है कि यह घोटाला 2012-13 से 2019-20 के बीच हुआ है। 2012-14 तक पूजा सिंघल के पति के कंपनी के बैंक खाता में केवल 10 करोड़ 56 लाख 18 हजार रु. जमा हुए हैं जबकि 2015-20 तक रघुवर दास के कार्यकाल में इनके बैंक खाता में 154 करोड़ 4 लाख 35 हजार रु. जमा हुए हैं। उल्लेखनीय है कि जिन आरोपों की जाँच के बाद ईडी ने पूजा सिंघल को जेल में डाल दिया है, उन्हीं आरोपों की जाँच में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने पूजा सिंघल को क्लीन चिट देकर आरोप मुक्त कर दिया है। जबकि तत्कालीन कार्मिक सचिव निधि खरे ने पूजा सिंघल को दोषी साबित किया है। ईडी को उस संचिका को कब्जा में लेकर जाँच करनी चाहिए। ऐसा नहीं होने से ईडी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होगा, जैसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरन खड़ा कर रहे हैं।
स्टोन चिप्स घोटाला में ईडी ने 1000 करोड़ रुपए के अवैध खनन और अवैध परिवहन घोटाला साबित किया है। ईडी के चार्जशीट को देखने से लगता है कि पिरपैंती रेलवे साईडिंग से 2015 से 2021 के बीच कुल 251 रैक स्टोन चिप्स का अवैध परिवहन बिना चालान के हुआ हैं इसमें से 2033 रैक स्टोन चिप्स का अवैध परिहन 2015 से 2019 के बीच रघुवर दास की सरकार में हुआ है। श्री दास मुख्यमंत्री के साथ-साथ खान मंत्री भी थे। 2019 से 2021 के बीच मात्र 18 रैक स्टोन चिप्स का ही बिना चलान के अवैध परिवहन हुआ है, जिस समय हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे।
इसके अलावा स्टोन चिप्स घोटाला में दायर चार्जशीट में ईडी ने उल्लेख किया है कि आधा दर्जन रेलवे साईडिंग से 2020-21 में कुल 3351 रैक स्टोन चिप्स का अवैध परिवहन हुआ है। ईडी यह उल्लेख करना भूल गयी है कि इन आधा दर्जन रेलवे साईडिंग से 2015 से 2019 के बीच स्टोन चिप्स का कितना अवैध परिवहन हुआ है। ईडी को इस बारे में एक पूरक चार्जशीट दाखिल करना चाहिए। ईडी का आंकड़ा प्रथम दृष्ट्या अविश्वसनीय प्रतीत होता है, कारण कि मार्च 2020 में कोरोना के पहले चरण के दौरान और इसके बाद 2020-21 में कोरोना के दूसरे चरण के दौरान समस्त आर्थिक गतिविधियां बंद रही है। खनन भी बंद रहा है और परिवहन भी बंद रहा था। ऐसी हालात में केवल इन दो वर्षों में 1000 करोड़ से अधिक का घोटाला अवैध खनन और अवैध परिवहन के दौरान संभव नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पहाड़ों के गायब होने और पत्थर का अवैध खनन होने के बारे में झारखंड उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर एक याचिका पूर्व के वर्षों में स्वीकार किया है। एनजीटी ने 2015-2020 के बीच साहेबगंज और पाकुड़ जिलों मे अवैध खनन से पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव के बारे में आदेश पारित किया हैं जिसमें झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के ऊपर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। श्री राय स्वयं मंत्री होने के नाते 2018 में साहेबगंज जिला के पहाड़िया जनजातियों के इलाके में राशन वितरण की शिकायतों की जाँच करने गया था। मेरे साथ तत्कालीन विधायक ताला मरांडी भी थे। मैंने साहेबगंज जिला के ग्रामीण इलाकों में अवैध पत्थर खनन और अवैध क्रैशर संचालन पर एक प्रतिवेदन सरकार को सौंपा था। इसमें साहेबगंज के मंडरों इलाके में वृक्षों के फोसिल क्षेत्रों में अवैध खनन का जिक्र भी किया था जिसे वहाँ के जिला वन पदाधिकारी ने भी संपुष्ट किया था।
श्री राय ने कहा कि उपर्युक्त आलोक में स्पष्ट है कि 2015 से 2019 के बीच सुनियोजित रूप से सुदूरवर्ती पहड़ी क्षेत्रों में अवैध खनन के प्रमाण मिले थे। ऐसी स्थिति में ईडी यदि उन वर्षों के अवैध खनन और अवैध परिवहन की जाँच नहीं करती है तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह आरोप सच साबित होगा कि ईडी केवल उनकी गर्दन पकड़ना चाहती है।
ईडी यदि हेमंत सोरेन के कार्यकाल में उनके विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की गतिविधियों पर चार्जशीट दाखिल कर रही है तो उसे यह भी बतानी चाहिए की रघुवर दास के मुख्यमंत्री और खान मंत्री रहने के दौरान पंकज मिश्रा की भूमिका कौन निभा रहा था। रघुवर दास के खान मंत्री कार्यकाल में भी 233 रेलवे रैक बिना चालान स्टोन चिप्स का अवैध परिवहन विख्यात प्रेम प्रकाश की कंपनी सीटीएस इंडस्ट्रीज ने किया है। प्रेम प्रकाश और पंकज मिश्रा के धन उगाही एवं धन शोधन मामलों का जिक्र ईडी द्वारा दायर चार्जशीट में है इसी तरह रघुवर दास सरकार के दौरान प्रेम प्रकाश का तत्कालीन सरकार में बैठा प्रतिनिधि कौन था। यदि ईडी थ्री आर (रघुवर, राजबाला और राकेश) की अवैध खनन में संलिप्तता की जाँच करे तो सच सामने आ जाएगा कि इस दौरान अवैध परिहन का प्रेम प्रकाश का जुड़ाव तत्कालीन सरकार में मुख्य सचिव से जुड़ाव जिसके माध्यम से था। इस मामले की जाँच में वस्तुपरखता का ताकाजा है कि ईडी इस अवधि की भी सघन जाँच करे।