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मशरूम उत्पादन से बदलेगी जिंदगी

हजारीबाग के दारू प्रखंड के पचास से अधिक प्रवासी और ग्रामीणों को मशरूम की खेती की जानकारी दी जा रही है. ताकि इसे एक उद्योग के रूप में स्थापित कर सकें.

हजारीबाग: जिले में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए होली क्रॉस कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केंद्र ने मशरूम की खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया. इसमें हजारीबाग के दारू प्रखंड के पचास से अधिक प्रवासी और ग्रामीणों ने मशरूम की खेती की जानकारी ले रहे हैं. ताकि इसे एक उद्योग के रूप में स्थापित कर सकें.
मशरूम एक पौष्टिक आहार है. इसमें एमीनो एसिड, खनिज, लवण, विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं. मशरूम हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए एक दवा की तरह काम करता है. मशरूम में फॉलिक एसिड और लावणिक तत्व भी पाए जाते हैं, जो खून में रेड सेल्स बनाते हैं. पहले मशरूम का सेवन विश्व के चुनिंदा देशों तक सीमित था. लेकिन अब आम आदमी की रसोई में भी इसने अपनी जगह बना ली है. भारत में उगने वाले मशरूम की दो सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रजातियां वाइट बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम है. हमारे देश में होने वाले वाइट बटन मशरूम का ज्यादातर उत्पादन मौसमी है. इसकी खेती परंपरागत तरीके से की जाती है.
मुंबई में रहने वाले गेस्ट हाउस के गार्ड कहते हैं कि उन लोगों ने कई सालों तक मुंबई में काम किया लेकिन, आज उनकी स्थिति दयनीय है, ना वो पैसा जमा कर सके और ना ही खुद को सुरक्षित रख सके. अब वो अपने गांव में हैं. यह सोच रहे हैं कि वो कैसे अपना जीवन यापन करें. जिसके कारण उन्होंने मशरूम की खेती की जानकारी ली.
फूलों का व्यवसाय करने वाले कहते हैं कि इस साल उन लोगों का व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है. ऐसे भी लग्न के समय ही वो लोग फूल का काम करते हैं और जब लग्न खत्म हो जाता है. तो उनके पास कोई काम नहीं बचता है इसलिए वो मशरूम की खेती की बारीकी सीख रहे हैं. ताकि इसे एक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में लिया जा सके.
हॉली क्रॉस विज्ञान प्रशिक्षण केंद्र के वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत हम लोग यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसमें मशरूम के गुणों के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दी जा रही है. साथ ही साथ बताया जा रहा है कि मशरूम स्वाद के साथ-साथ पौष्टिक और औषधि गुण वाला उत्पाद है. जिसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल और फाइबर की प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इस कारण इसकी मांग देशभर में है. अगर लोग अच्छे ढंग से मशरूम की खेती करेंगे, तो वो आर्थिक रूप से मजबूत भी हो सकते हैं.
बता दें कि मशरूम की खेती किसानों के लिए अब फायदे का सौदा बन रही है. इसके प्रति किसानों का रूझान लगातार बढ़ता जा रहा है. करीब पांच साल से किसानों में मशरूम की खेती तेजी से लोकप्रिय हुई है. किसानों की कड़ी मेहनत और अच्छा भाव मिलने से मशरूम की खेती फायदे का सौदा साबित होने लगा है.