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मनरेगा कर्मियों की हड़ताल 15वें दिन भी रही जारी

राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले सोमवार को भी मनरेगा कर्मी लगातार 15वें दिन हड़ताल पर रहे. वहीं बैठक में जिला अध्यक्ष शंकर सतपति ने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से 48 घंटे के अंदर हड़ताल से वापस लौटने की बात कही गई है, लेकिन इस तरह से कोई भी मनरेगा कर्मी भयभीत नहीं है.

सरायकेला: झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले मनरेगा कर्मियों ने लगातार 15 वें दिन हड़ताल की. मनरेगा कर्मियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठक कर बिना सकारात्मक वार्ता के हड़ताल से वापस न लौटने का निर्णय लिया है.
बैठक को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष शंकर सतपति ने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से 48 घंटे के अंदर हड़ताल से वापस लौटने की बातें कही जा रही है, लेकिन इस तरह से कोई भी मनरेगा कर्मी चिंतित व भयभीत नहीं है. अगर सरकार चाहती है कि मनरेगा कर्मी हड़ताल से वापस लौटे तो सरकार की तरफ से सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक सम्मानजनक एवं सकारात्मक वार्ता कर मांग पूरी करने की दिशा में पहल करें.
जिले के 200 मनरेगा कर्मी हड़ताल पर
जिले के 200 मनरेगा कर्मी झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के आहवान पर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है. मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से मजदूरों को रोजगार देने की योजनाओं का क्रियान्वन प्रभावित हो रहा है.
संघ के जिला अध्यक्ष शंकर कुमार सतपति ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत रोजगार सेवक, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंताएवं प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर विगत 12 वर्षों से भी अधिक समय से काम कर रहे हैं इनकी नियुक्ति सरकारी प्रयोजन एवं पूर्ण वैधानिक प्रक्रिया से आरक्षण रोस्टर का पालन कर मेधा सूची के आधार पर हुई है. लेकिन 12 वर्षों के बाद भी मनरेगा कर्मचारियों को न तो नियमित वेतनमान मिला और न ही स्थायी किया गया.
उन्होंने कहा कि मनरेगा कर्मचारियों की मुख्य मांगें स्थायीकरण करने और स्थायी किए जाने की तिथि तक पद एवं कोटि के अनुरुप ग्रेड पे के साथ वेतनमान दिया जाए. मनरेगा कर्मियों को 25 लाख का जीवन बीमा एवं 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए.
अनियमितता के आरोप में मनरेगा कर्मियों को सीधे बर्खास्त करने के बजाए सरकारी कर्मचारियों की तरह कार्रवाई की जाए. साथ ही बिहार की तर्ज पर मनरेगा को स्वतंत्र इकाई घोषित करते हुए केवल मनरेगा कर्मियों को इसके क्रियान्वन की जिम्मेदारी दी जाए.