माओवादी अरविंद ने बनाया था जहानाबाद जेल ब्रेक की योजना वेव सीरिज के बाद चर्चा में है घटना
जहानाबाद जेल ब्रेक पर वेब सीरीज बना है जो रिलीज होने के बाद काफी चर्चा में है. नक्सली के टॉप कमांडर रहे सतीश कुमार कहते हैं कि इस घटना को अंजाम देने से पहले पूरे शहर को अपने कब्जा में ले रखा था.
पलामूः जहानाबाद वेब सीरीज रिलीज होने के बाद से जहानाबाद जेल ब्रेक कांड काफी चर्चा में है. यह घटना 13 नवंबर 2005 की है. करीब 17 साल बाद जहानाबाद जेल ब्रेक कांड पर वेब सीरीज बना. इसके बाद बिहार और झारखंड में खूब चर्चा है. माओवादियों ने जहानाबाद जेल पर हमला कर 350 से अधिक नक्सली कैदियों को छुड़ा लिया था.
माओवादियों ने जहानाबाद को करीब दो घंटे तक अपने कब्जे में रखा था. इसके बाद जेल ब्रेक की घटना को अंजाम दिया था. जहानाबाद जेल ब्रेक को लेकर माओवादियों ने एक किताब भी लिखी. यह किताब सुरक्षा एजेंसी और माओवादियों के पास मौजूद है. जहानाबाद जेल ब्रेक में पलामू के इलाके में सक्रिय कई टॉप माओवादी शामिल थे. माओवादियों के टॉप कमांडर रहे सतीश कुमार ने झारखण्ड वाणी संवाददाता से बातचीत में कहा कि जहानाबाद ब्रेक कांड अपने आप में बड़ी घटना थी.
जहानाबाद जेल ब्रेक से दो साल पहले नक्सल संगठन का आपसी विलय हुआ. इसके बाद पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी का गठन किया गया. पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी ने ही इस घटना को अंजाम दिया था. पूर्व माओवादी सह आजसू नेता सतीश कुमार ने बताया कि नवंबर 2005 में काफी उतार-चढ़ाव वाले दिन थे और माओवादी पूरे चरम पर था.
सतीश ने बताया कि मगध जोन के टॉप नक्सली अजय उर्फ रवि पाल जेल में बंद था, जिसे माओवादी छुड़ाना चाहता था. अजय को जेल से निकालने का कोई उपाय नहीं था. इस स्थिति में जेल ब्रेक की घटना को अंजाम दिया गया. सतीश कुमार बताते हैं कि जहानाबाद जेल ब्रेक के दौरान दो घंटे तक माओवादियों ने पूरे तंत्र को अपने कब्जे में ले लिया था. जहानाबाद के इलाके में सामाजिक परिस्थिति विपरीत थी, जिससे इस योजना में माओवादी सफल रहे.
सतीश ने बताया कि जेल ब्रेक घटना पर माओवादियों ने एक किताब भी लिखी है. इस किताब को लिखने में माओवादियों के टॉप कमांडर अरविंद, विजय आर्य, अर्जुन प्रसाद आदि ने मदद की थी. उन्होंने कहा कि आज परिस्थिति बदल गई है. अब समाज में वह स्थिति नहीं है जो उस दौरान थे.
जहानाबाद जेल ब्रेक का नेतृत्व टॉप माओवादी देव कुमार सिंह और अरविंद ने किया था. देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद मूल रूप से जहानाबाद के इलाके का ही रहने वाला था. अरविंद माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य था और बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक दशक तक सक्रिय था. साल 2018-19 में बीमारी से बूढ़ापहाड़ के इलाके में अरविंद की मौत हो गई थी. एक पूर्व माओवादी ने बताया कि अरविंद के नेतृत्व में माओवादियों ने जेल ब्रेक को अंजाम दिया था. इस घटना को अंजाम देने के लिए 400 से अधिक माओवादी इलाके में पंहुचे थे. इसमें पलामू, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद आदि इलाकों में सक्रिय दस्ता शामिल था.
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