झारखण्ड वाणी

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मैथिली को क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं करने से लाखों मैथिली भाषियों में आक्रोश है

रांची- झारखण्ड सरकार ने राज्य स्तरीय नियोजन नीति 2021 में क्षेत्रीय भाषा में पूर्व से नौ भाषा (जनजातीय एवं स्थानीय)के अलावें अलग से उर्दू ,उड़िया एवं बंगला अर्थात कुल 12 भाषा को शामिल किया था उच्च न्यायालय द्वारा उक्त नियम को निरस्त किया गया पुनः2023 में संशोधित भाषा की सूची में हिंदी ,अंग्रेजी एवं संस्कृत को शामिल किया गया है ।मैथिली भाषी लोगों को पुनः निराशा हुई है शामिल किये गये भाषा के सम्बंध में कहा गया है कि उक्त भाषा की यहां पढ़ाई होती है जबकि अन्य भाषा की पढ़ाई नहीं होती है एवं पाठ्यक्रम नहीं है मैथिली एक प्राचीन भाषा है इसकी पढ़ाई इंटर एवं डिग्री में है अभी भी पूर्व के 59 प्लस टू विद्यालयों में इसका पद सृजित है कमोवेश इंटर की परीक्षा में छात्र मैथिली बिषय रखते हैं तत्काल राँची जिला में मॉडल स्कूल हेतु पीजीटी के विज्ञापन में छह पद मैथिली हेतु निकाली गई है मैथिली भारत के अष्टम अनुसूची के साथ राज्य के द्वितीय राजभाषा में शामिल है यहां के सभी जिला में लाखो मैथिली भाषी वर्षों से बसे हुए सभी मापदंड को पूरा करने के बाद भी मैथिली को क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं करने से लाखो मैथिली भाषियों में आक्रोश है मैथिली भाषा संघर्ष समिति झारखण्ड प्रदेश पिछले एक वर्ष से सम्पूर्ण राज्य में जन जागरण कर हस्ताक्षर अभियान चलाया है । भाषा संघर्ष समिति ने राज्यपाल के नाम संयुक्त हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन देने का निर्णय लिया है महामहिम से मिलने हेतु समय की याचना की गई है उक्त जानकारी अमर नाथ झा प्रदेश संयोजक मैथिली भाषा संघर्ष समिति ने दी है