झारखंड में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ते जा रहा है. इसके रोकथाम के लिए सरकार ने संक्रामक रोग अध्यादेश पारित किया है. जिसका विरोध कई संगठनों ने किया है. इसे लेकर अब स्वास्थ्य
विभाग की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया है.
रांची: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए झारखंड सरकार की तरफ से जारी निर्देश का उल्लंघन होने पर संक्रामक रोग अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी दी गई थी. इस अध्यादेश के तहत संक्रमण को रोकने के लिए जारी निर्देशों का उल्लंघन करते पाए जाने पर अधिकतम 2 साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माने का प्रावधान किया गया था. इस पर कई राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों ने आपत्ति जताई थी. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया है.
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कहा गया है कि संक्रामक रोगों के रोकथाम को ध्यान में रखते हुए पहले से ही कई निर्देश जारी हैं, मसलन, लोग भीड़ जमा ना करें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और जब भी घर से बाहर निकलें तो मास्क जरूर लगा कर रखें. ऐसा नहीं होने पर जनमानस के आचरण और व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए कानूनी प्रावधान किया गया है, जहां तक जुर्माने की राशि और सजा के प्रावधान की बात है तो यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस निर्देश का उल्लंघन करने पर किस तरह का जुर्माना लगेगा और और कितनी सजा हो सकती है. इसके लिए एक रेगुलेशन तैयार किया जा रहा है जिसमें इस बात का जिक्र होगा कि किस तरह के नियम के उल्लंघन पर किस तरह की सजा होगी. फिलहाल रेगुलेशन बनाने की प्रक्रिया जारी है. लिहाजा 2 साल की सजा और एक लाख के जुर्माने को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए.
झारखंड सरकार ने कोरोना के रोकथाम के लिए कैबिनेट की बैठक कर संक्रामक रोग अध्यादेश पारित किया है. जिसके बाद से इस अध्यादेश का विरोध शुरू हो गया है. बीजेपी ने इस अध्यादेश को काला पानी का सजा बताया था. वहीं कई संगठनों ने भी इसमें संशोधन की मांग की है.
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