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कोरोना के डर के साए में घिरा वृद्धा आश्रम, खौफजदा हैं बुजुर्ग

कोरोना महामारी के कारण इन दिनों वृद्धा आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की हालत काफी खराब है. बता दें कि वे डर के साए में जी रहे हैं. जिस कारण उन पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के अलावे मानसिक तनाव भी हावी हो रहे हैं.

रांची: कोरोना महामारी के कारण पूरे देश दुनिया में अब तक लोग भयभीत हैं और परेशानियों में हैं. इस महामारी की चपेट में कई क्षेत्र हैं. आम से लेकर खास तक कोविड-19 के प्रकोप के कारण समस्याओं से घिर गए हैं. ऐसा ही एक वर्ग है जो इन दिनों इस महामारी से खौफजदा हैं. वह है वृद्धा आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग, जो इन दिनों काफी भयभीत हैं और मानसिक रूप से परेशान भी. है वृद्धा आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की हालत इन दिनों काफी खराब है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के अलावे मानसिक तनाव भी इन बुजुर्गों पर हावी हो रहा है. कमरे से बाहर और वृद्धा आश्रम परिसर के इर्द गिर्द चहलकदमी नहीं कर पाने के कारण इन बुजुर्गों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. फिजिकल फिट रहने के लिए हर सुबह हर शाम आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग एक दूसरे के साथ वृद्ध आश्रम परिसर के इर्द-गिर्द ही सैर सपाटे पर निकलते थे. लेकिन इस महामारी ने इनका घूमना फिरना भी बंद कर दिया
रांची के वृद्धा आश्रम में कोविड-19 के तहत जारी गाइडलाइन का बखूबी पालन किया जा रहा है. उन तमाम मानकों को वृद्ध आश्रम संचालक फॉलो कर रहे है. वृद्धों के लिए जो भी दिशा निर्देश जारी किया गया है उन दिशा निर्देशों के तहत ही आश्रम संचालित हो रहे हैं और बुजुर्गों को सही तरह से रखा जा रहा है. कमरों में व्यक्तियों की संख्या की बात करें तो प्रत्येक कमरे में एक वृद्ध को रखा गया है. शौचालय, भोजन और अन्य सुविधाओं की उपलब्धता इन वृद्धा आश्रमों में है और इसके लिए वृद्धा आश्रम चलाने वाले संचालक फंड की व्यवस्था कर रहे हैं.
हालांकि, सरकारी वृद्धा आश्रमों को फंड तो मिल जाते हैं, लेकिन गैर सरकारी संगठन की ओर से संचालित ऐसे वृद्धा आश्रमों के लिए यह कोरोना महामारी किसी आफत से कम नहीं है. विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से आने वाले दान भी नही के बराबर आ रहे हैं. दान में आनेवाले हरी सब्जी, अनाज अन्य सामग्री अभी फिलहाल उस मात्रा में नहीं आ रहे हैं. जो सामान्य दिनों में आते थे. जो हाथ उन दिनों वृद्धा आश्रमों के लिए आगे बढ़ते थे वह हाथ फिलहाल नहीं बढ़ रहे हैं. ऐसे में वृद्धा आश्रम चलाने वाले गैर सरकारी संस्थाओं को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. वृद्धा आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के परिजन भी मदद दे रहे हैं. अतिरिक्त फंड के लिए वैसे संपन्न परिजनों से वृद्धा आश्रम संचालक गुहार लगा रहे हैं, ताकि उनके सगे संबंधियों को बेहतर तरीके से रखा जा सके. सामान्य स्थिति में एक जमा रकम ही ऐसे परिजनों से लिया जाता है. लेकिन फिलहाल परिस्थितियां कुछ और हैं. ऐसे में हर किसी को एक साथ मिलकर ही चलना होगा बुजुर्गों को किसी चिकित्सीय सलाह फिलहाल चिकित्सकों के साथ मुलाकात कर लेना संभव नहीं हो पा रहा है. किसी बुजुर्ग को डायबिटीज है तो किन्ही को हार्ट की परेशानी भी है. लेकिन कोरोना के डर से चिकित्सकों से नियमित परामर्श भी लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और बाहरी चिकित्सकों को वृद्धा आश्रम कैंपस के अंदर नहीं आने दिया जा रहा है. किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश इन वृद्धा आश्रमों में नहीं है. ऐसे में इलाज को लेकर भी इन बुजुर्गों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.
कोरोना महामारी से पहले विभिन्न एनजीओ की ओर से भी ऐसे वृद्धा आश्रम में वृद्धों की विभिन्न सुख सुविधा को देखते हुए मदद पहुंचाई जा रही थी. लेकिन जैसे ही कोविड-19 का प्रकोप पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में बढ़ा. एनजीओ चलाने वाले समाजसेवी भी इस ओर रुख नहीं कर रहे हैं. ऐसे में कई जरूरी दवा के साथ-साथ सामग्रियों को लेकर भी आश्रमों में परेशानियां बढ़ी है. वहीं, सरकारी महकमा की भी समुचित ध्यान इस ओर नहीं होने के कारण यह कोरोना महामारी इन वृद्धों के लिए किसी आफत से कम नहीं है.