झारखंड की स्थित दिनोंदिन भयावह होती जा रही है। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे राज्य के लिए सबसे बड़ी परेशानी की बात है सुरक्षा मानकों की अनदेखी और सावधानी के लिए दिए गए सुझावों को ताक पर रखकर काम करना। यही कारण है कि एक चौथाई मंत्रिमंडल अस्पताल पहुंच चुका है और बाकी का कैबिनेट क्वारंटाइन पर है।
कुछ-कुछ काम मुख्यमंत्री ही कर पा रहे हैं। इसी प्रकार प्रमुख अधिकारियों में आधा दर्जन के करीब आइएएस संक्रमित हो चुके हैं। इनके कारण भी सरकारी कार्य बाधित चल रहे हैं। प्रदेश में बड़े पैमाने पर संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। संक्रमित होने की संभावनाओं के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कैबिनेट की बैठक में पहुंचे और कुछ ही घंटों के बाद उन्होंने इस बात की जानकारी साझा की कि वे कोरोना संक्रमित हो गए हैं।
चार दिन बाद कृषि मंत्री बादल भी कोरोना संक्रमित हो गएत्र इसके पूर्व ही पूरे कैबिनेट को क्वारंटाइन पर जाने के निर्देश दे दिए गए थे लेकिन कांग्रेस नेताओं ने अपने कार्यक्रम जारी रखे और संक्रमण फैलता गया। अब राज्य के सभी मंत्री अपने-अपने घरों में ही सिमटकर रह गए हैं। इससे सीख लेने के बदले तमाम दलों के छोटे-बड़े नेता रुक नहीं रहे और शारीरिक दूरी के नियमों की पूरी तरह से अनदेखी कर कार्यक्रम कर रहे हैं। लगातार कार्यक्रमों से संक्रमण का खतरा बढ़ता ही जा रही है।
इसके पूर्व भी मंत्री मिथिलेश ठाकुर के संक्रमित होने से लोग सकते में थे लेकिन उन्होंने सही तरीके से अपना इलाज कराया। दूसरी ओर, लगभग आधा दर्जन आइएएस अधिकारी भी संक्रमित होने के बाद या फिर इसकी संभावना में क्वारंटाइन पर हैं। विकास आयुक्त केके खंडेलवाल ने स्वयं इसकी जानकारी सभी को दी थी कि वे कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने उनसे मिलने-जुलने वाले लोगों से जांच कराने और सावधानी बरतने का आग्रह किया था। इसके बाद कई आइएएस अधिकारी क्वारंटाइन पर चले गए।
इसके पूर्व कार्मिक सचिव भी संक्रमित होने के बाद इलाजरत हैं। कुछ जिलों के उपायुक्त भी संक्रमित हो चुके हैं। सरकार के लिए बड़ी चुनौती है संक्रमण की रफ्तार को कम करना। राजनीतिक कार्यकर्ताओं में संक्रमण फैला तो फिर इसके गांव-गांव तक फैलने की संभावना भी बढ़ जाएगी। अभी तक ग्रामीण इलाका इस घातक रोग से बचा हुआ है। आनेवाले दिनों में क्या होता है, यह अभी तो कहा नहीं जा सकता लेकिन, रफ्तार यही रही तो गांव भी अछूते नहीं रह जाएंगे।
एक दूसरा पक्ष यह भी है कि गांवों में अभी व्यापक पैमाने पर जांच शुरू ही नहीं हुई है। जांच शहरी इलाकों में ही की जा रही है और ग्रामीण इलाकों में उन्हीं लोगों की जांच की गई है जो स्वयं चलकर अस्पतालों तक पहुंचे हैं। मंत्रियों और फिर आइएएस अधिकारियों के क्वारंटाइन पर जाने के बाद सर्वाधिक असर सामान्य कामकाज पर पड़ा है। विकास कार्यों पर पहले ही रोक लगी हुई है।
पैसों की कमी के कारण पहले से ही नई योजनाओं पर रोक लगी हुई है। पुरानी योजनाओं को पूरा करने के लिए भी समन्वय की कमी दिख रही है। विभिन्न स्तरों पर इससे संबंधित फाइलें लटक रही हें। कुछ अधिकारियों ने तो फाइलों के लिए एक निर्धारित व्यवस्था भी लागू कर दी है जिसके तहत फाइलों को पूरी तरह से क्वारंटाइन करने के बाद ही अधिकारियों के समक्ष ले जाया जाता है। इस प्रक्रिया से भी कार्यों के निष्पादन में देरी हो रही है।
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