झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

किसान विरोधी बिल को केंद्र सरकार वापस ले= सुधीर कुमार पप्पू

जमशेदपुर. किसान विरोधी बिल को केंद्र सरकार को वापस ले लेना चाहिए. अगर किसान नहीं चाहते हैं तो उन पर जबरन अध्यादेश लाकर बिल पास करना बिल्कुल गलत है. किसानों के हित में अगर बिल होता तो देश के लाखों करोड़ों किसान इस बिल का विरोध नहीं करते. केंद्र में मोदी सरकार को इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बना कर देश हित में और किसान हित में अध्यादेश के माध्यम से पारित बिल को जल्द से जल्द वापस ले लेना चाहिए. आवश्यक वस्तु भंडारण से पूंजी पतियों को लाभ मिलेगा और इससे कालाबाजारी बढ़ेगी. देश के बड़े पूंजीपति आवश्यक वस्तुओं का भंडारण कर अनावश्यक रूप से कीमत बढ़ा देंगे और इससे आम जनता त्रस्त रहेगी. दूसरी बात है कि किसानों के साथ बड़े-बड़े कंपनी समझौता सीधे नहीं कर सकते हैं मंडी के माध्यम से समझौता होगा इससे भी किसानों को लाभ नहीं होगा अगर कंपनी कुछ गड़बड़ करती है तो छोटे किसान मुकदमा नहीं लड़ सकते हैं. इसमें किसानों के साथ ही समझौते का प्रावधान होना चाहिए था. तीसरी बात है कि किसान मंडी में या मंडी के बाहर अपनी पैदावार बेच सकते हैं लेकिन इसमें भी किसानों को लाभ होने की उम्मीद नहीं है. इस तरह केंद्र सरकार ने जो बिल पारित की है वह बिल्कुल किसान विरोधी है. करोना काल में केंद्र सरकार आनन-फानन में किसान विरोधी बिल को पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए पारित कर दी. यही कारण है कि आज पंजाब हरियाणा राजस्थान यूपी के लाखों करोड़ों किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और इनको देशभर के किसानों और आम लोगों का समर्थन प्राप्त है.अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने एक बयान जारी कर उक्त बातें कहीं हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के बारे में गलत ढंग से भाजपा और केंद्र सरकार सोशल मीडिया और गोदी मीडिया के माध्यम से प्रचारित करवा रही है. खैर इससे भाजपा और केंद्र सरकार को लाभ तो नहीं मिलेगी नुकसान जरूर होगी. देश के किसान अन्नदाता है उन्हें नाराज कर और उन पर अत्याचार कर देश खुशहाल नहीं हो सकता. उनकी मांग है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी बिल को यथाशीघ्र वापस ले लेना चाहिए