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किसान प्रदर्शन का सोलहवां दिन, दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं नाराज अन्नदाता कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है

सरकार का संशोधन प्रस्ताव ठुकराने के बाद किसानों ने आंदोलन को और भी तेज करने का एलान किया है. ऐसे में अगर बात करें सिंघु बॉर्डर की तो यहां हर रोज पहुंचने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है. किसान लगातार पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों से सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं. जानकारी के मुताबिक सिंघु बॉर्डर पर हर रोज करीब एक हजार से लेकर दो हजार तक वाहनों में सवार होकर किसान पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में सिंघु बॉर्डर पर किसानों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है. माना जा रहा है कि किसान बहालगढ़ तक अपना डेरा जमा सकते हैं. सिंघु बॉर्डर से बहालगढ़ की दूरी बीस किलोमीटर के आसपास है. 
गौरतलब है कि किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के संशोधन के लिखित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और सभी किसान नेता तीन कृषि कानून रद्द करवाने और एम एस पी गारंटी कानून लागू करवाने पर अड़िग हैं. साथ ही किसानों की ओर से आगे की रणनीति भी तैयार की गई है. जिसके तहत-
12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली राजमार्ग को अवरुद्ध किया जाएगा
किसान अदानी-अंबानी के उत्पादों जैसे रिलायंस की जियो सिम का बहिष्कार करेंगे
14 दिसंबर को पूरे देश में होगा विरोध प्रदर्शन
12 दिसंबर को टोल प्लाजा को फ्री किया जाएगा
भाजपा नेताओं का घेराव किया जाएगा 14 दिसंबर को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान जिला मुख्यालयों पर एक दिन का धरना देंगे और अन्य राज्यों के किसान 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे.जो धरने नहीं लगाएगा वह दिल्ली को कूच करेगा.
नई दिल्ली: दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन सोलहवें दिन भी जारी है. सरकार ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की संभावना से गुरुवार को एक तरह से इनकार करते हुए किसान समूहों से इन कानूनों को लेकर उनकी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार के प्रस्ताओं पर विचार करने की अपील की.
सरकार ने कहा कि जब भी यूनियन चाहें, वह अपने प्रस्ताव पर खुले मन से चर्चा करने के लिए तैयार है. सरकार की अपील के बावजूद किसानों का विरोध जारी रहा और उन्होंने धमकी दी कि वे राजमार्गों के अलावा रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध करेंगे
प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लिखित आश्वासन देने के सरकार की पेशकश को ठुकराने और नए कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने के प्रस्ताव को खारिज करने के एक दिन बाद, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसान यूनियन के नेताओं को प्रस्तावों पर विचार करना चाहिए और वह उनके साथ आगे की चर्चा के लिए तैयार है लेकिन, उन्होंने किसानों से अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख प्रस्तावित करने का जिम्मा किसान समूहों पर छोड़ दिया.
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने के चलते एफआईआर दर्ज की है. महामारी एक्ट के तहत यह एफआईआर दर्ज की गई है. बीते 29 नवंबर से सिंघु बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. प्रदर्शन में ड्यूटी कर रहे दो डीसीपी भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं. 
बता दें कि केंद्र सरकार तीन कृषि बिल लेकर आई थी, जो अब कानून बन चुका है, उसी कानून के विरोध में किसान बीते सोलह दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि सरकार इन कानून को वापस ले. इसे लेकर सरकार से किसानों की कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला है. सरकार इन कानूनों में संशोधन को तैयार हैं. लेकिन किसान कानून वापस लेने से कम पर मानने को तैयार नहीं है. इसकी वजह से किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. बड़ी संख्या में वह बॉर्डर पर डटे हुए हैं.
सिंघु बॉर्डर पर जमा हुए किसानों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होने के चलते दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. सरकारी आदेश की अवहेलना और महामारी एक्ट के तहत यह एफआईआर दर्ज की गई है. इससे पहले भी किसानों के खिलाफ दंगा भड़काने की दो एफआईआर अलीपुर थाने में दर्ज हो चुकी है. यहां ड्यूटी दे रहे डीसीपी गौरव शर्मा और घनश्याम बंसल भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं.