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खत्म होगा सात साल का लंबा इंतजार, लोगों को उम्मीद- मिलेगा स्वच्छ पेयजल

साहिबगंज में शहरी पेयजल योजना पिछले सात साल से अधूरा पड़ा है. लोग यहां आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. सीएम हेमंत सोरेन वर्ष 2013 में अपने 14 महीने के कार्यकाल में शिलान्यास किए पर आज तक यह पूरा नहीं हो सका.

साहिबगंज: शहरी पेयजल योजना का शिलान्यास सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन वर्ष 2013 में अपने चौदह महीने के कार्यकाल में किया था. सात साल बीतने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक जिलेवासियों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ. आज भी लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं.
वर्ष 2013 में हेमंत सोरेन ने इस महत्वकांक्षी योजना का शिलान्यास तो किया लेकिन 14 महीने बाद ही सत्ता चली गई. हेमंत सोरेन ने इस योजना का जिम्मा गुजरात की एक कंपनी को सौंपा. सरकार में नहीं रहने के बाद बीजेपी ने समय पर कार्य पूरा नहीं होने की वजह से इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया.
एक बार फिर इस शहरी पेयजल आपूर्ति योजना का जिम्मा बीजेपी सरकार ने वर्ष 2019 में वाराणसी की परमार कंस्ट्रक्शन को 22 करोड़ की लागत से पूरा करने के लिए दिया है. इस कंपनी को दिसंबर 2020 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है. लेकिन कोरोना की वजह से काम सुस्त पड़ा हुआ है.
इस शहरी पेयजलापूर्ति योजना के पूरा हो जाने से 12 लाख 4 हजार 964 लोगों तक शुद्ध पानी पहुंचेगा. जिले में भूमिगत जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसी मिश्रण काफी मात्रा में पाई जाती है. जिस कारण पानी पीने में सही नहीं लगता है. इस समस्या को जिलेवासी सरकार तक पहुंचाने लगे. आंदोलन हाई कोर्ट तक पहुंच गया. हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद सरकार जगी और यह योजना चालू हुआ. लेकिन काम कब तक पूरा होगा यह कहना मुश्किल है हर दिन पीएचईडी शहर के कुछ स्थानों पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराती है. जहां सुबह शाम लोगों की भीड़ उमड़ती है. बिजली रहा तो पानी मिलता है, वरना खाली हाथ लौटना पड़ता है. शुद्ध पेयजल नहीं मिलने से चापाकल या कुआं का सहारा लेना होता है. कभी-कभी तो लोग आपस में भिड़ भी जाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि आर्सेनिक युक्त पानी पीने से तरह-तरह की बीमारी हो रही है. आज तक शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ. लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है.