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केंद्रीय वित्त मंत्री के दोनों विकल्पों से राज्य पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ, यह झारखंड के हित के खिलाफ: रामेश्वर उरांव

जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से राज्य को दिए गए दोनों विकल्पों को झारखंड सरकार ने अस्वीकार कर लिया है. झारखंड सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने केंद्रीय वित्त मंत्री डॉ.निर्मला सीतारमण को पत्र

लिखकर कहा है कि जीएसटी अपनाते समय राज्यों ने कर लगाने के अपने अधिकारों को केंद्र सरकार को सौंप दिया है, केंद्र को अपने संवैधानिक और नैतिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए.

रांची: झारखंड सरकार ने जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से राज्य को दिए गए दोनों विकल्पों को अस्वीकार करते हुए कहा कि राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. झारखंड सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने केंद्रीय वित्त मंत्री डॉ.निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि जीएसटी अपनाते समय राज्यों ने कर
लगाने के अपने अधिकारों को केंद्र सरकार को सौंप दिया है, ऐसे समय में केंद्र को अपने संवैधानिक और नैतिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए, उनके सुझाए गये दोनों ही विकल्पों से राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा और यह झारखंड के हित के विरूद्ध होगा.
रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई, इस बैठक में उनकी ओर से जो विकल्प राज्यों को दिए गए हैं, उसे अपनाने से झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा और यह राज्यहित में नहीं है, इसलिए इन दोनों ही विल्कपों को खारिज करते हुए केंद्र सरकार से यह आग्रह किया गया है कि झारखंड को जीएसटी क्षतिपूर्ति का बकाया 2,481 करोड़ रुपये का तत्काल भुगतान करें. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमणकाल में झारखंड के राजस्व संग्रहण में भारी गिरावट दर्ज की गई है, वहीं जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना केंद्र सरकार का संवैधानिक और नैतिक दायित्व है, केंद्र सरकार को सहकारी संघवाद को मजबूत करने में अपनी जिम्मेवारियों का निवर्हन करना चाहिए. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में देश-दुनिया की आर्थिक व्यवस्था प्रभावित हुई है, इसकी किसी ने परिकल्पना नहीं की थी, लेकिन मौजूदा परिस्थिति में केंद्र सरकार को अधिक से अधिक सहायता राज्यों को उपलब्ध कराना चाहिए, क्योंकि झारखंड जैसे राज्यों ने जीएसटी को स्वीकार राजस्व संग्रहण के मामले में अपनी पूरी शक्ति या रीढ़ की हड्डी केंद्र को सौंप दी है, ऐसे में राज्यों को मदद पहुंचाना केंद्र सरकार का नैतिक दायित्व है.
वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने केंद्र सरकार के झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों को उनका जीएसटी का बकाया राशि नहीं दिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. केंद्र सरकार और वित्त मंत्री को जीएसटी के नुकसान के लिए संवैधानिक दायित्व के तहत केंद्र सरकार कानूनी और नैतिक रूप से न सिर्फ बाध्य है, बल्कि बिना देर किए हुए उसके बकाए मुआवजा की राशि अविलंब दी जानी चाहिए.