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केबल कंपनी के मज़दूरों द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में दायर अपील स्वीकृत

जमशेदपुर। ज्ञातव्य है कि इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबल कंपनी) के मज़दूरों ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा ०७/०२/२०२० को पारित कंपनी के वैधानिक अस्तित्व को समाप्त करने (liquidation) के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में अपील दायर किया गया था। आज दिनांक २७/०८/२०२० को उक्त अपील की अपीलीय न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई। उक्त अपील में NCLT द्वारा Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 की धाराओं १२ से ३१ की अवहेलना कर कंपनी के अस्तित्व को समाप्त करने के आदेश को चुनौती दी गयी है। इसके अलावे लेनदार की समिति (Committee of Creditor) को गैरकानूनी ढंग से बनाए जाने को भी चुनौती दी गयी है। अपील को स्वीकार करने के उपरांत अपीलीय न्यायाधिकरण ने दूसरी पार्टियों को अपना पक्ष रखने के लिए सूचित करने का निर्देश जारी किया। अगली तारीख २७ सितम्बर की मुकर्रर की गयी।

ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा ०७/०२/२०२० को इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड का परिसमापन करने का आदेश पारित किया था और मज़दूरों द्वारा लेनदारों की समिति (Committee of Creditor) को ग़ैरक़ानूनीन ढंग से बनाने, लेनदारों की गैरकानूनी समिति (Committee of Creditor) द्वारा अवैध तरीके से परिसमापन का प्रस्ताव पारित करने, लेनदारों की गैरकानूनी समिति (Committee of Creditor) को हटा कर स्टेट बैंक के नेतृत्व में लेनदारों की समिति (Committee of Creditor) को बनाने, झारखण्ड सरकार को पार्टी बनाने, इन्सॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को हटाने और मज़दूरों द्वारा कंपनी का पनर्रूद्धार करने के दावों को ख़ारिज कर दिया था। इसके अलावे राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड की १७७ एकड़ जमीन को भी अवैध तरीके से टाटा स्टील की जमीन बता दिया था।

ज्ञातव्य है कि झारखण्ड सरकार द्वारा कंपनी के पुनर्रुद्धान करने के मज़दूरों के आवेदन पर संज्ञान लेने के बाद झारखण्ड सरकार के राजस्व, निबंधन और एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से सरकार के संयुक्त सचिव राम कुमार सिन्हा ने पूर्वी सिंघभूम के उपायुक्त को एक पत्र लिख कर उन्हें कंपनी को पुनर्जीवित करने के सन्दर्भ में एक साफ और विस्तृत प्रतिवेदन सरकार को देने को कहा है।

आज की हियरिंग में मज़दूरों की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, संजीब मोहंती और पी एस चंद्रलेखा शामिल थे। दूसरे पक्ष की तरफ से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ।