झारक्राफ्ट के जरिए कंबल खरीद में 18 करोड़ की अनियमितता मामले में एसीबी ने जांच तेज कर दी है. एसीबी ने कागजात जब्त करने की कवायद शुरू कर दी है. इसी के साथ जल्द ही एसीबी आरोपियों को नोटिस जारी करने की तैयारी में है. इससे पहले पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल और सचिवालय विभाग ने एसीबी को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दे दी थी.
रांचीः झारक्राफ्ट के जरिए कंबल खरीद में 18 करोड़ की अनियमितता मामले में एसीबी ने जांच तेज कर दी है. एसीबी ने कागजात जब्त करने की कवायद शुरू कर दी है. इसी के साथ जल्द ही एसीबी आरोपियों को नोटिस जारी करने की तैयारी में है. इससे पहले बीते हफ्ते मंत्रिमंडल और सचिवालय विभाग ने एसीबी को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दे दी थी
इससे पहले उद्योग विभाग ने इस मामले में एसीबी से जांच कराने की अनुशंसा की थी. अनुमति मिलने के बाद एसीबी ने इस मामले में झारक्राफ्ट के तत्कालीन सीईओ रेणु गोपीनाथ पाणिकर, डीजीएम मो. नसीम अख्तर और मुख्य वित्त पदाधिकारी अशोक ठाकुर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. एसीबी अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में एजेंसी ने खरीद संबंधी सारे कागजातों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है. वहीं एसीबी कागजात की पड़ताल के बाद आरोपियों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी में है.
वित्तीय वर्ष 2016- 17 में रघुवर सरकार ने सर्दियों के मौसम में कंबल वितरण के लिए नौ लाख कंबल बनाने का आर्डर झारक्राफ्ट को दिया था, लेकिन झारक्राफ्ट ने पानीपत से कंबलों की खरीद की. इसमें 18 करोड़ की अनियमितता सामने आई. अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन विकास आयुक्त अमित खरे ने स्पेशल ऑडिट किया. उन्होंने तब तत्कालीन मुख्यमंत्री से एसीबी जांच कराने की मांग की थी. बाद में सरकार ने विभागीय जांच कराई. विवाद में आने के बाद तत्कालीन सीईओ रेणु गोपीनाथ पाणिकर ने इस्तीफा दे दिया.
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