मानवाधिकार वरिष्ठ कार्यकर्ता जवाहर लाल शर्मा ने कहा कि मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जमशेदपुर के देवता जमशेदजी नसरवान जी टाटा की आत्मा को और दुखी नहीं किया जाय। कौन दुखी कर रहा है यह बताने की जरूरत नहीं है। जे एन टाटा ने अपने विश्व प्रसिद्ध आदेश में अपने वारिसों को जमशेदपुर की पूरी आम जनता की देखभाल करने का आदेश दिया था ।
पर आज इस महामारी के दौर में इस काम के लिए टाटा स्टील अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर रही है ताकि लोगों को डर से मुक्त किया जा सके ।अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। जमशेदपुर टाटा का अपना शहर है और इसी शहर व इसके लोगों की वजह से ही सारी दुनिया
टाटा घराने को पहचानती है।
एक कंपनी से अनेकों कंपनियां बन गई हैं अरबों खरबों की अथाह पूंजी का निर्माण हुआ है। जमशेदपुर की जमीन मात्र एक रुपए प्रति एकड़ में टाटा को लीज में मिली जो मामूली परिवर्तन के साथ आज भी जारी है। लीज में जो शर्त थी वह आज भी है कि टाटा स्टील सभी जमशेदपुर वासियों को सभी प्रकार की नागरिक सुविधाएँ देगी। अस्पताल एवं स्वास्थ्य सेवाएं भी नागरिक सुविधा में शामिल है पर आज ऐसा सीमित मात्रा में ही हो रहा है। सारा शहर डरा हुआ है। पता नहीं कब कौन कोरोना की चपेट में आ जाए ,कब किसकी मौत हो जाए ।सभी लोग एक ही डूबते-डगमगाते जहाज पर सवार हैं ।लोग सरकारी व्यवस्था में भरोसा नहीं कर पा रहे हैं चूंकि यह शहर टाटा के नाम पर बसा है तथा लीज समझौता भी है अतः सभी लोग टाटा की तरफ ही आस लगाए बैठे हैं।
जब दिल्ली सरकार सामाजिक संस्था से मिलकर एक हजार बेड का अस्पताल चंद दिनों में ही तैयार कर जनता को राहत पहुंचा सकती है तब टाटा ऐसा क्यों नहीं कर सकती ?टाटा भी 500 बेड का सभी सुविधाओं से लैस एक या दो अस्पताल तो मात्र कुछ दिनों में ही खड़ा कर सकती है। टाटा के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। रही बात सीएसआर फंड की राशि की बात तो उसके अलावा भी टाटा अपने फंड से 50/ 60 करोड़ तो खर्च कर ही सकती है ?
मार्च में कोरोना आरंभ हुआ था और आज अगस्त आ गया अर्थात लगभग पांच महीने होने को हैं इतने दिनों में टाटा स्टील को सारी तैयारियां पूरी कर लोगों की जान बचाना आरंभ कर देना चाहिए था पर अभी भी तैयारी ही चल रही है। सीएसआर फंड की बात हो रही है।कई लोग मरते जा रहे हैं ।लोग जो भुक्तभोगी हैं वह झूठ नहीं बोलते ।अस्पताल में कहीं तो कुछअव्यवस्था है तभी तो लोग बोलते हैं। सरकारी अस्पताल से तुलना करना बेमानी है ।
अतःटाटा स्टील प्रबंधन से अनुरोध है कि अपनी सारी ताकत लगा कर सारे संसाधनों को झोंककर नए अस्पतालों का निर्माण कर लोगों को भर्ती कर इलाज शुरू करें। ऐसा करके वे जमशेदपुर के संस्थापक और देवता जेएन टाटा की आत्मा को जो अभी दुखी होगी को शांति सुख व तृप्ति प्रदान कर सकते हैं ताकि उन्हें लगे कि उनके वारिस उनकी बातें मान रहे हैं। मैं खुद बहुत दुखी होकर ऐसा कहने को मजबूर हूंँ ।
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