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जमीन माफिया की जद में धरती आबा की भूमि, जमीन हड़पने की हो रही कोशिश

भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती अब भू-माफियाओं की जद में है. लैंड माफिया की खूंटी में इंट्री से यहां के आदिवासी डरे सहमे हैं. रांची-खूंटी रोड के किनारे आदिवासियों की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए जबरन कब्जा करने की कोशिश शुरू हो गई है. आदिवासी अपनी जमीन को बचाने के लिए डीसी को पत्र लिखकर गुहार लगा चुके हैं.

खूंटीः धरती आबा की पावन धरती पर भू-माफियाओं की गिद्ध नजर पड़ चुकी है. जमीन माफिया अब अपने हथकंडों से, जाली दस्तावेज के सहारे आदिवासियों की जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं. रांची-खूंटी मुख्य पथ किनारे हुटार के मुंडा परिवार की लगभग चार एकड़ की जमीन है. गैर-आदिवासियों के उस भूखंड को अपना बता कर उसमें दखल देने की पहली कोशिश इसका उदाहरण है. जैसे ही मुंडा परिवार को इसका पता चला तो मुंडाओं ने जिला प्रशासन से जमीन बचाने की गुहार लगाई. लेकिन लॉकडाउन में उन्हें ज्यादा मदद नहीं मिली.
लॉकडाउन का ही फायदा उठाते हुए भू-माफिया ने आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा करना चाहा, जब कामयाब नहीं हुए तो पूर्व नक्सलियों के साथ मुंडाओं के घर पहुंचे और उन्हें डराने धमकाने लगे. पहले रुपयों का लालच दिया, नहीं माने तो हथियार के बल पर जमीन छोड़ देने के लिए धमकाने लगे.
मुंडा परिवार के अनुसार खाता संख्या 42 प्लॉट संख्या 2181,2182 का कुल रकबा 1.69 एकड़ है जबकि दूसरे मुंडा परिवार का खाता संख्या 52,53 प्लॉट संख्या 2184,2183 है, जिसका कुल रकबा 1.30 एकड़ है. उस भूखंड में पूर्व से ही लगातार कब्जा लेने की कोशिश की जा रही है लेकिन माफियाओं को सफलता नहीं मिली तो माफिया स्थानीय अपराधियों और पूर्व नक्सलियों का सहयोग लेकर जमीनों पर कब्जा लेने के फिराक में है. हुटार के इन मुंडा परिवारों ने डीसी एसपी को पत्र लिखकर जमीन वापसी की गुहार लगाई है. उन्होंने डीसी, एसपी को लिखे पत्र में बताया है कि लंबे अरसे से वाद संख्या SAR 02/16 के लिए लंबित रहते हुए विपक्षी (गैरआदिवासी) भूमाफियाओं से धमकी दिलाकर जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने झारखण्ड वाणी संवाददाता को भी अपनी आपबीती बताई है. मुंडा परिवार का दावा है कि उस भूखंड उनके परिवार का है और उनके पूर्वजों ने कभी किसी भी गैर-आदिवासी को बेचा नहीं.
उपायुक्त शशि रंजन ने कहा कि झारखण्ड वाणी संवाददाता ने मामले की जानकारी दी है, मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी अधिकारी या दलाल दोषी होंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. एक सवाल पर डीसी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण निबंधन का कार्य बंद है अगर किसी आदिवासी के भूखंड को गलत तरीके से निबंधित किया गया होगा तो उसकी वापसी करवाई जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करवाने वालों को भी चिंहित किया जाएगा और उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी.
बताते चलें कि रांची और खूंटी जिला के जमीन दलाल स्थानीय अपराधियों और पूर्व नक्सलियों से सांठगांठ करके भोले-भाले आदिवासियों की जमीन पर उनको डरा-धमका कर कब्जा कर चुके हैं. वर्तमान में लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए जमीन दलाल जाली दस्तावेजों के जरिए उन्हें डराने का काम भी कर रहे हैं. विश्वस्त पुलिस सूत्रों के अनुसार जमीन दलालों को पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मदद पहुंचा रहे हैं. हालांकि इस मामले पर डीसी ने अनौपचारिक बयान देते हुए कहा कि पहले जो भी हुआ लेकिन जिले में अब ऐसा नहीं होगा.