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झारखंड में कोरोना से ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है अवसाद

झारखंड में लॉकडाउन के बाद आत्महत्या के मामले ज्यादा बढ़ गए हैं. 24 मार्च से लगे लॉकडाउन के बाद से राज्य में अब तक जितनी मौत कोरोना संक्रमण से नहीं हुई है, उससे कई गुणा ज्यादा मानसिक तनाव के कारण हुई है. आए दिन लोग आत्महत्या कर रहे हैं. इसमें युवा वर्ग के लोग ज्यादा हैं. शुक्रवार को रांची के घुर्वा इलाके में एक नाबालिग छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

रांची: राजधानी में आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले एक सप्ताह में ही 20 से अधिक लोग अपनी जीवन की लड़ाई हार कर सुसाइड कर चुके हैं. ताजा मामला रांची के धुर्वा इलाके का है. जहां सीआरपीएफ की महिला बटालियन में तैनात संजू कुमारी की 16 वर्षीय बेटी ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी.
रांची के धुर्वा थाना प्रभारी राजीव कुमार ने बताया कि रांची के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा के आत्महत्या की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची. मौके पर पुलिस पहुंची तो देखा कि छात्रा अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर चुकी थी. पुलिस की मौजूदगी में ही शव को नीचे उतारा गया. फिलहाल पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स अस्पताल भेज दिया है
आठवीं क्लास की नाबालिग छात्रा के सुसाइड करने के बाद पूरा परिवार गमगीन है. उन्हें यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर उनकी बेटी ने ऐसा कदम क्यों उठाया. परिवार वालों ने पुलिस को यह बताया है कि देर रात तक खाना खाने के बाद नाबालिग छात्रा अपने कमरे में सोने के लिए चली गई थी. सुबह जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो किसी तरह दरवाजा खोलकर जब परिजन अंदर गए. वहां का दृश्य देखकर वह चीख पड़े, नाबालिग छात्रा फांसी लगाकर आत्महत्या कर चुकी थी. मौके से पुलिस को कोई भी सुसाइड नोट भी नहीं मिला है.
नाबालिग छात्रा की मां रांची में ही सीआरपीएफ में तैनात है. सूचना मिलने के बाद वह सदमे में है. उसे यह समझ नहीं आ रहा है कि उसकी बेटी ने ऐसा कदम क्यों उठाया. घटना के बाद छात्रा की मां घर पहुंच गई है.
विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. मगर वायरस से भी ज्यादा जानलेवा साबित लोगों का मानसिक तनाव और अवसाद हो रहा है. झारखंड में कोरोना के दस्तक की बाद जितनी मौतें संक्रमण से नहीं हुई है, उससे कही ज्यादा जानें मानसिक अवसाद ने ली है. झारखंंड में लॉकडाउन के बाद तेजी से आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं. आए दिन लोग आत्महत्या कर रहे हैं. 24 मार्च से हुए लॉकडाउन के बाद अब तक झारखंड में सैकड़ों लोगों ने आत्महत्या कर ली है
कुछ महीनों के लॉकडाउन से जिंदगी जहां थी वहीं थम कर रह गई है. इसके कारण लोगों की जीवन शैली में बड़ा बदलाव आ रहा है. जो लोग परिवार के साथ हैं और जो अपने परिवार के साथ नहीं है, सभी में एक बदलाव जरूर देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के इस आलम में अकेले पड़ गए लोग तनाव का शिकार ज्यादा हो रहे है. सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने के कारण सामाजिक सरोकार भी नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यह एक बुरा असर पड़ रहा है.