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झारखंड में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के कई वादे

झारखंड में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के कई वादे

झारखंड सरकार खेल और खिलाड़ियों को हर सुविधा देने की बात करती है. कई योजनाओं की घोषणाएं भी की गई है. इन सबसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन तो दिया जा सकता है लेकिन जमीनी स्तर पर सार्थक किए बिना सब व्यर्थ है.
दुमका: झारखंड सरकार खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की बात करती है. हाल ही में उनके विकास के लिए कई योजनाओं की घोषणा की गई है लेकिन जमीनी हकीकत क्या है? इसे जानने के लिए आपको झारखंड की उपराजधानी दुमका के हालात से रूबरू करवाते हैं. दुमका में तीन सालों से एक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का काम पूरा नहीं हो पाया है. इससे स्थानीय खिलाड़ियों और लोगों में काफी निराशा है
मार्च 2019 में जब राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास थे. तब उनके मंत्रिमंडल में शामिल कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने दुमका में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स की आधारशिला रखी थी. इसमें बैडमिंटन, वॉलीबॉल, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, स्विमिंग जैसे खेलों के लिए आउटडोर और इंडोर कोर्ट बनना था. शुरुआत में काम में तेजी नजर आई और स्विमिंग पुल बना लेकिन उसके बाद काम की गति एकदम शिथिल पड़ गई. इधर जिस स्विमिंग पुल का निर्माण हुआ. उसका उदघाटन सीएम हेमंत सोरेन के द्वारा 2020 में ही हो गया था लेकिन उसके बाद से उसमें ताला लटका हुआ है. मतलब जो बना भी वह भी किसी काम का नहीं है.
दुमका में सरकारी बस पड़ाव से जब बसों का परिचालन बंद हो गया तो उस परिसर के सदुपयोग के लिए स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के निर्माण की प्लानिंग हुई. शुरुआत में इसे डेवलप करने के लिए पांच करोड़ रुपए की योजना बनी. काफी तामझाम के साथ काम शुरू हुआ लेकिन तीन साल में काम नहीं नहीं के बराबर हुआ है. सबसे बड़ी बात यह है कि अब यह सरकारी बस पड़ाव निजी बस मालिकों का अवैध पार्किंग बन चुका है. असामाजिक तत्वों ने इसे अपना अवैध पार्किंग बना लिया है. साथ ही चारों तरफ कचरे का डंपिंग यार्ड भी बनता जा रहा है.
स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि यह स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स तैयार हो जाएगा तो एक खेल का वातावरण तैयार होगा. लोगों को खेलने का मौका मिलेगा जिससे अच्छे खिलाड़ी सामने आएंगे. वे सरकार से इस पर जल्द से जल्द ध्यान देने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी बस पड़ाव जो 18 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. उस भूमि का कोई सार्थक उपयोग नहीं हो पा रहा है.