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झारखंड की हिस्सेदारी केंद्र करों में 9000 करोड़ घटी

रांची। भारत सरकार ने केंद्रीय करों में झारखंड की हिस्सेदारी लगभग नौ हजार करोड़ घटा दी है। इसके पीछे केंद्रीय करों की  कम हो रही वसूली को कारण बताया है। देश के आम बजट में झारखंड के लिए केंद्रीय करों में हिस्सेदारी साल भर में 25 हजार 978 करोड़ रुपए तय की थी। वर्तमान स्थिति के तहत झारखंड सरकार को सालभर में लगभग 17 हजार करोड़ से अधिक मिलने के आसार नहीं हैं।

भारत सरकार ने झारखंड को केंद्रीय करों की वसूली की स्थिति और उससे राज्य की स्थिति पर पड़ने वाले असर से अवगत करा दिया है। अर्थव्यवस्था पर संकट गहराने की स्थिति में केंद्रीय वित्त आयोग के तय फॉर्मूले के तहत केंद्र से मिलने राजस्व की स्थिति पर और अधिक असर पड़ सकता है। हालांकि, राज्यों को इस स्थिति से उबारने के लिए भारत सरकार ने उधारी की क्षमता जीडीपी की तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी कर दी है। इससे झारखंड को लगभग आठ हजार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज  मिल सकता है। स्थिति गंभीर होने पर राज्य सरकार इसका सहारा ले सकती है। केंद्रीय राजस्व से मिलने वाली हिस्सेदारी में बड़ी राशि की कटौती से झारखंड की विकास योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं में झारखंड की ओर से दिए जाने वाले राज्यांश में भी समस्या खड़ी हो सकती है। उधर केंद्रीय योजनाओं में भी भारत सरकार कटौती कर सकती है।इससे राज्य सरकार को भी बजट में कटौती की पहल के लिए बाध्य होना पड़ेगा। इससे इतर झारखंड सरकार राजस्व के नए स्रोतों के लिए भी विचार कर सकती है।