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झारखंड चैंबर ने सरकार से की मॉलों को खोलने की मांग

राज्य में लॉकडाउन जारी है. मॉलों को बंद रखा गया है. पिछले लगभग पांच महीनों से मॉल से होने वाला कारोबार ठप है. इससे मॉल के मालिकों और सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है. झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राज्य सरकार से मॉलों को खोले जाने की अनुमति देने की गुहार लगायी है.

शुक्रवार को प्रेस वार्ता में चैंबर प्रमुख कुणाल आजमानी ने भरोसा दिलाया कि मॉलों को खोले जाने से कोरोना संक्रमण के मामले नहीं बढेंगे. इस दौरान बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर और दूसरे जिलों से आये कई मॉल मालिकों ने भी सरकार से मॉल को खोले जाने पर फैसला लेने का आग्रह किया.

राज्य में लॉकडाउन-2 के बाद से 90 फीसदी सेक्टर खोले जा चुके हैं. इनमें कल कारखाने भी हैं जिनमें हजारों लोग काम कर रहे हैं. पर अब भी 10 प्रतिशत सेक्टर को बंद रखा गया है जिसमें मुख्य रुप से मॉल शामिल हैं. मॉलों में कई सारी कंपनियों के आउटलेट्स हैं जो मॉलों के बंद रखे जाने के कारण घाटा उठा रहे हैं. मॉल मालिकों के अलावा इसमें चलने वाले दुकानदारों को अपने स्टाफ की सैलरी, बैंक लोन, मेंटेनेंस वगैरह का खर्च उठाना भारी पड़ने लगा है.

राज्य के सबसे बड़े मॉल न्यूक्लियस के मालिक विष्णु अग्रवाल के मुताबिक मॉलों को खोले जाने से सभी को फायदा होगा. देश के कई राज्यों में मॉलों को खोला जा चुका है. झारखंड में भी इसे खोला जाना चाहिये.

मॉलों में 500-1000 स्क्वायर फीट वाले दुकानों को नहीं खोलने दिया जा रहा है जबकि 60-70,000 स्क्वायर फीट वाले बड़े बड़े दुकान अपना कारोबार कर रहे हैं. सरकार मॉलों को खोले जाने की दिशा में पहल करे.

रोड़ों का नुकसान

चैंबर की मानें तो एक एक मॉल से सरकार को हर महीने 5 से 7 करोड़ तक का मुनाफा होता है. बड़े मॉलों के दुकानों के भाड़े से जीएसटी के तौर पर 60 लाख रुपये तक सरकार को मिलते हैं. इसके अलावा एक एक मॉल से 200-300 लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. साफ सफाई और दूसरी जरुरतों में भी कई लोगों को रोजी रोटी मिल रही है. राज्य में लगभग 100 मॉल हैं. ऐसे में मॉल के बंद रहने से सरकार और मॉल मालिकों, स्टाफ के अलावा सरकार को भी क्षति हो रही है.