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जानें क्यों माओवादियों के हिटलिस्ट में चाईबासा एसपी और छतरपुर डीएसपी

चाईबासा: चाईबासा के एसपी इंद्रजीत महथा और पलामू के छतरपुर डीएसपी शंभु कुमार सिंह को माओवादियों के निशाने पर हैं। राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इस संबंध में जानकारी भी मिली है। पलामू में एसपी रहते हुए इंद्रजीत महथा ने भाकपा माओवादियों के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया था। चाईबासा में भी लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन को लेकर महथा माओवादियों के निशाने पर हैं। हाल के दिनों में चाईबासा जिला में भाकपा माओवादियों ने लगातार धमाके और आगजनी कर वारदातों को भी अंजाम दिया था।

तीन महिला माओवादियों के एनकाउंटर का बदला लेने के फिराक में हैं माओवादी : चार अप्रैल को चाईबासा के पोड़ाहाट जंगल में भाकपा माओवादियों और पुलिस बल के बीच मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ में माओवादी महिला कैडर शांति, प्रियंका और सुजाता मारी गई थी। मुठभेड़ के बाद माओवादी इस एनकाउंटर का बदला लेने की फिराक में हैं। भाकपा माओवादियों ने जून महीने में झींगामार्चा चौक, उड़निया स्कूल समेत कई जगहों पर दक्षिणी जोनल कमेटी के नाम से हिंदी और हो भाषा में पोस्टर चिपकाए थे। पोस्टर के जरिए पुलिस अफसरों को चिन्हित कर सजा ए मौत देने की बात माओवादियों ने कही थी। ऐसे में चाईबासा एसपी की जान को माओवादियों से खतरा बताया जा रहा।

पलामू के डीएसपी क्यों निशाने पर : पलामू के छतरपुर डीएसपी शंभु कुमार सिंह भी माओवादियों की हिटलिस्ट में है। बीते विधानसभा चुनाव से लेकर हाल तक पलामू के इलाके में गतिविधियां बढ़ी थी। पलामू के डीएसपी ने औरंगाबाद तक कई दफे माओवादियों का पीछा किया था। इसे लेकर माओवादियों ने इन्हें भी हिटलिस्ट पर रखा है। डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर औरंगाबाद के चकरबंधा में माओवादियों ने रणनीति बनायी थी। औरंगाबाद के चकरबंधा से ही पलामू, गढ़वा के इलाके में नक्सल गतिविधियां संचालित हो रही हैं।

चिप से खुले हैं कई राज : भाकपा माओवादी कैडर के खिलाफ अभियान में पुलिस को एक चिप मिला था। इस चिप के जरिए पुलिस को माओवादियों के गतिविधियों के संबंध में कई जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि चिप में माओवादियों के संबंध में कई गोपनीय जानकारी भी थी।