झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

है पहचान मुझे छलिये की

है पहचान मुझे छलिये की
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मुझको सबसे सिर्फ मुहब्बत, जो अबतक मेरे दिल में
लेकिन सच कहने की हिम्मत, जो अबतक मेरे दिल में

आम जनों के साथ खड़ा मैं, शासक कहे विरोधी है
फिर भी उनसे नहीं शिकायत, जो अबतक मेरे दिल में

है परिवार बचाना पहले, फिर समाज या देश बचे
बचे जो रिश्ते, वही इबादत, जो अबतक मेरे दिल में

बड़ी बड़ी हस्ती को अक्सर, बेखटके सच कह देता
ये बिल्कुल ही नहीं बगावत, जो अबतक मेरे दिल में

है पहचान मुझे छलिये की, फिर भी उनको प्यार दिया
राह सुमन बस एक सदाकत, जो अबतक मेरे दिल में

श्यामल सुमन