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ग्रामीण महिलाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़कर हो रही है आत्मनिर्भर व सशक्त

ग्रामीण महिलाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़कर हो रही है आत्मनिर्भर व सशक्त

 

*दहलीज के भीतर सिसकतीं, अपनी आंचल में आंसू पोछती, किस्मत को कोंसती महिलाएं आज इक्कसवीं सदी के बदलते भारत के दूसरे स्वरूप से रूबरू कराने चली है।इक्कसवीं सदी में महिलाओं की जागरुकता और उनके विचारों में आए बदलाव की कहानी शहरों से लेकर गांवों तक दिखाई दे रही है।सरकार के विभिन्न योजनाओं से जुड़ने के बाद गांव की महिलाएं आज न केवल आत्मनिर्भर हुई है, बल्कि अपने परिवार और समाज को एक नई दिशा देने में जुटी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में आई जागरुकता नारियों के सम्मान की नई गाथायें लिख रही है, जो निश्चित रूप से महिला समाज को गौरवान्वित कर रही है। पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत अंतर्गत मेचुआ गांव की महिला सोनामनी लोहार पर एक खास रिपोर्ट…

एक साधारण गृहीणी थी, अजीविका से जुड़ने के बाद आगे बढ़ी- तो स्वरोजगार का नया द्वार खुला*

पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत अंतर्गत मेचुआ गांव के सोनामनी लोहार कल तक की एक साधारण गृहिणी, आज एक नयी इबादत की कहानी लिख रही है। वह झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की ओर से संचालित झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जे.एस.एल.पी.एस.) से जुड़ने के बाद अपने हौसला और मेहनत से न केवल अपनी परिवार की स्थिति को सुधारी, बल्कि अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिला रही है। खटिया पर बैठकर मैट्रीक तक पढ़ी लिखी गांव की महिला सोनामनी लोहार की उंगलियां लैपटॉप पर एैसे चलते है, जैसा लगता है कि लंबी कंप्युटर शिक्षा के बाद हाथ चला रही है। इस संबंध मे सोनामनी लोहार बताती है कि जेएसएलपीएस की ओर से 2016 मे उनके गांव मे अनुकुल महिला अजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया, जिनमें कुल 12 लोग जुड़े. वहां उसे बुक कीपर (बी.के.) की पद दिया गया, जिसके पश्चात गांव स्तर में उन्हें सक्रिय महिला के रूप में चुना गया। ग्राम संगठन में सक्रिय महिला की जिम्मेदारी समूह की निगरानी करना और संचालन की स्थिति को देखने का होता है। यह कार्य वह बखूबी निभाती गयी, जिसके एक साल बाद  बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ शाखा की ओर से उन्हें बैंक बीसी (बैंकिंग क्रॉसपोंडेंस) का कार्य देकर एक नयी जिम्मेदारी दिया गया। इस दौरान उन्हें निर्देश दिया गया कि समुह के महिलाओं को बैंक नहीं आना पड़े, इसके लिए वह समुह के रुपये का लेनदेन करे । शुरू मे बैंकिग के कार्य को लेकर उन्हें थोड़ा झिझक महसुस हुआ, लेकिन रांची में प्रशिक्षण लेने के बाद साहस किया और कार्य करना शुरू किया। शुरू में उन्होंने समुह के लेनदेन का ही काम करना शुरू किया, जिसके बाद आम लोगों से कारोबार शुरू किये। इसके लिए वह लैपटॉप भी ली और अपने घर में एक मिनी बैंक खोलकर कार्य करते और अच्छी सेवा देते-देते लोग उन्हें जानने लगे और उनके पास आने लगे। आज वह बैंक वाली दीदी के रूप मे एक पहचान बना चुकी है।

सोनामनी लोहार अपने मिनी बैंक  में शुरू मे केवल रुपये लेनदेन का कार्य करती थी, लेकिन अब वह बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ शाखा के खाता खोलने के साथ-साथ मनी ट्रांसफर और बैंक में लोगों को बीमा भी कराती है। वह अपने मिनी बैंक के साथ-साथ वृद्धा/विधवा/स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता (दिव्यांग लोगों के लिए) के राशि निकासी हेतू वह घर मे जाकर बैंकिंग सेवा देती है, ताकि किसी को बैंक आना नहीं पड़े. वह अपनी सेवा चौबीस घंटा देती है। उन्होंने बताया कि वह प्रतिदिन 50 से अधिक लोगों को सेवा देती है और 80 हजार से डेढ़ लाख का लेन देन कर लेती है। इस तरह से वह महिना में आठ से दस हजार रुपया कमाई कर लेती है। इस रुपये से वह घर चलाने के साथ-साथ अपने बच्चों को भी पढ़ा रही है। उनके एक पुत्र एवं एक पुत्री है, जो प्लॉस टू मे पढ़ाई कर रहे है।

सोनामनी लोहार के पति माधव लोहार पूर्व में विभिन्न संस्था से जुड़कर काम करते थे, लेकिन सोनामनी लोहार के जेएसएलपीएस जुड़कर बैंक बीसी का कार्य करने के दौरान शुरूआत में उनका साथ देते थे। परंतु धीरे-धीरे सोनामनी लोहार ट्रेंड हो गयी तो अब वह स्वयं पुरा काम कर लेती है। उन्होंने अपने पति माधव लोहार को जेएसएलपीएस के जोहार प्रोजेक्ट से जोड़वा दिये है, जहां वह सिनियट ए.के.एम. (आजीविका कृषक मित्र) का काम कर रहे है।

सोनामनी लोहार नामनी लोहार ने महिलाओं को अपने संदेश देते हुए कहा कि हौंसले से जीता जा सकता है जहां, यानि महिलाएं अपने को किसी भी क्षेत्र में कम नहीं आंके, बल्कि वह हर काम में आगे आये। वे भी शुरूआत में काफी भयभीत थी, लेकिन उन्होंने साहस, मेहनत और ईमानदारी के बल पर अपने मुकाम हासिल किया। इसके लिए वह झारखंड सरकार के प्रति आभार प्रकट करना चाहेंगी।

जेएसएलपीएस के प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक (बी.पी.एम.) पोटका मुरलीधर महतो ने कहा कि शुरूआत में जब बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा सोनामनी लोहार को बैंक बीसी की जिम्मेदारी दिया गया तो लोगों के बीच विश्वास बनाने में समय लगा, लेकिन उन्होंने अपने उत्कृष्ठ सेवा और ईमानदारी के बल पर बहुत जल्द लोगों के बीच विश्वास बनायी और आज लोग स्वयं उनके पास सेवा लेने के लिए आते हैं। सोनामनी लोहार वर्तमान में प्रतिमाह 25 से 30 लाख का बैंकिंग कारोबार आसानी से कर लेती है। सबसे बड़ी बात है कि वह चौबीस घंटा घर-घर जाकर सेवा देती रहती है। यह महिलाओं के लिए एक उदाहरण है।

बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ शाखा के शाखा प्रबंधक गोविंद हांसदा ने कहा कि बैंक बी.सी. के काम से बैंक का भार कम हुआ है। अब लोग बैंक बी.सी. को गांव घर में ही बुलाकर सेवा ले रहे है, इससे दोनों को फायदा हो रहा है। यानि सेवा लेनेवालों को बैंक भी आना नहीं पड़ रहा है, सेवा देनेवाले का कारोबार भी हो रहा है। सोनामनी लोहार कॉरपोरेट बी.सी. है, जो वर्तमान में बेहतर सेवा दे रही है। निश्चित रूप से यह महिलाओं के लिए एक उदाहरण है।*=========================*