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गंगा में समा रहे किनारों पर बसे लोगों के घर, बाढ़ से साहिबगंज के लोगों की नींद उड़ी

साहिबगंज में गंगा का जलस्तर बढ़ने से आई बाढ़ ने स्थानीय लोगों की नींद उड़ा दी है. गंगा के कटाव में अभी तक आठ घर बह चुके हैं, सड़कें बहती जा रहीं हैं. ऐसे में लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है

साहिबगंज: झारखंड में साहिबगंज के लोग हर साल बाढ़ से जूझते हैं, इसकी चपेट में आकर पचास हजार से अधिक लोग वर्षों से बेघर होने और कई माह बाद लौटकर शुरुआत करने को मजबूर होते हैं. दर्जनों घर कटाव की भेंट चढ़ जाते हैं, न जाने कितनी उपजाऊ जमीन गंगा में समा जाती है. यही नजारा एक बार फिर साहिबगंज में दिखाई दे रहा है और लोग डरे हुए हैं. अभी तक आठ लोगों के घर गंगा में समा चुके हैं, फिलहाल गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार करते हुए 27.82 मीटर पर स्थिर है यानी गंगा खतरे के निशान से 00.57 सेमी ऊपर से बह रही है.
गंगा नदी का विकराल रूप साहिबगंज में दिखने लगा है. साहिबगंज और राजमहल एन एच 80 के किनारे बसे कई घर कटाव की भेंट चढ़ चुके हैं. इससे पहले 2018 और 2019 में 42 घर गंगा में समा गए थे. इस वर्ष अभी तक 8 घर कटाव में बह चुके हैं यानी अब तक 50 घर गंगा की तेज धार में कटकर बह चुके हैं. स्थिति ऐसी ही बनी रही तो NH 80 भी इससे अछूता नहीं रहेगा और अगर ऐसा हुआ तो साहिबगंज और राजमहल का संपर्क टूट सकता है.
विभागीय सूत्रों के अनुसार गंगा का कटाव को रोकने के लिए पिछले साल गंगा पंप नहर परियोजना से 15.47 करोड़ की गंगा कटाव निरोधक कार्य योजना तैयार की गई थी लेकिन इस योजना की शुरुआत अब तक नहीं हुई है. जानकारी के अनुसार पिछले कई वर्षों से अलग-अलग मद से गंगा कटाव निरोधक कार्य हुआ है लेकिन लूट पाट की नीति के तहत कार्य सफल नहीं हो पाया. गंगा कटाव निरोधक कार्य योजना के नाम पर लूट मची हुई है और खामियाजा आम जनता भुगत रही है गंगा कटाव के एक पीड़ित ने कहा कि प्रतिवर्ष कटाव में उनका घर गंगा में चला जाता है. उन्हें रहने की जगह नहीं मिलती है. अतिरिक्त जमीन भी नहीं है, रात भर धड़ाम-धड़ाम की आवाज होती रहती है और डर से नींद नही आती. जिला प्रशासन का रवैया भी कुछ ठीक नहीं है. जब-जब कटाव होता है तो शूट-बूट में लोग आकर जायजा लेते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं.
आज तक जिला प्रशासन हो या राज्य सरकार या जन प्रतिनिधि किसी ने भी गंगा कटाव रोधी कार्य शुरू कराने की ओर कदम नहीं उठाया है. लोगों का आशियाना उजड़ रहा है. वे बच्चों के साथ खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं. राजमहल विधायक ने कहा कि पिछले दिनों जल संसाधन विभाग को पत्र लिखकर गंगा कटाव रोधी कार्य करने की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि राजमहल विधानसभा क्षेत्र के 83 किलोमीटर गंगा किनारे करोड़ों की लागत से कई स्थानों पर कटाव रोधी कार्य पूर्ण हुआ है और लगभग वहां कटाव रूका है लेकिन दूसरे स्थानों पर कटाव की चिंता है. साहिबगंज प्रखंड के रामपुर दियरा,कारगिल दियरा, उधवा प्रखंड के श्रीधर दियरा और प्राणपुर दियरा के पास कटाव रोधी कार्य करने की जरूरत है. राजमहल प्रखंड के मुकीमपुर से सैदपुर पंचायत तक गंगा कटाव रोकने के लिए गंगा कटाव रोधी कार्य शीघ्र शुरू करने की मांग की गई है.