झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

एक दिन हम सितारों में खो जाएँगे

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि
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प्रायः हम सभी,
मौत से डरते हैं और
यह भी सच है कि
एक ना एकदिन मरते हैं।

गीता कहती है, आत्मा को,
न तो शस्त्र काट सकता, न हवा सुखा सकती है,
न पानी गला सकता, न ही आग जला सकती है।
यानि आत्मा अमर है
फिर मौत से किस बात का डर है?
सिर्फ शरीर ही तो मरता है और
आत्मा हमेशा जिन्दा रहती है।

बावजूद इसके,
मानवता मौत से डरी हुई है।
लोग शरीर से तो जिन्दा दिखते है,
लेकिन बहुतों की आत्मा मरी हुई है।।

एक दिन हम सितारों में खो जाएँगे
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हम समन्दर के लहरों के सँग चल पड़े,
सोचकर ये किनारे भी हो जाएँगे।
साथ रह के समन्दर के दिल में कभी,
बीज मीठे सुरों के भी बो जाएँगे।

मोड़ जैसा भी आए सुनो जिन्दगी,
जीतने की भी कोशिश रहेगी सदा।
हौसला रख के दिल में कटेंगे ये दिन,
एक दिन हम सितारों में खो जाएँगे।

जिन्दगी आनी जानी, सभी जानते,
काम अच्छा, बुरा करके जाते सभी।
याद करती ये दुनिया सदा काम को,
लोग यादों में सदियों तक रो जाएँगे।

एक जाती तो आती नयी जिन्दगी,
सिलसिला ये कभी भी थमेगा नहीं।
काम अपना करें फिक्र को छोड़ हम,
बोझ जितना है जिसका वो ढो जाएँगे।

होश में रहके जीना है कितना कठिन
ये सदा से सिखाता समय ही सुमन।
चूक जाते समय पर, वो पछता रहे,
पास आकर के आँखें भिंगो जाएँगे

श्यामल सुमन

भले झोपड़ी, लेकिन घर हो
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अपना भी इक गाँव नगर हो
जहाँ हवा में नहीं जहर हो

नजरों से बातें हों जब जब
दोष नजर में नहीं नजर हो

महल दिखे पर है मकान वो
भले झोपड़ी, लेकिन घर हो

दर दर जाकर नहीं झुके जो
ऐसा भी दुनिया में सर हो

कब ऐसी दुनिया होगी जब
बढ़ने का सबको अवसर हो

रिश्तों से ही जीवन चलता
रिश्तों से फिर काहे डर हो

दिल में चाहत अगर खुशी की
सुमन गीत के साथ सफर हो

श्यामल सुमन