झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

एक अद्भुत चरित्र का नाम है रामकृष्ण परमहंस देव- सुनील कुमार दे

एक अद्भुत चरित्र का नाम है रामकृष्ण परमहंस देव-
सुनील कुमार दे

रामकृष्ण परमहंस देव भगवान का अवतार थे लेकिन साधारण आदमी जैसा आचरण करते थे। उनके पास आध्यात्मिक अलौकिक शक्ति था लेकिन चमत्कार नहीं दिखाते थे।
रामकृष्ण परमहंस एकनिष्ठ कुलीन ब्राह्मण का संतान थे लेकिन जातिवेद प्रथा को नहीं मानते थे वे कामार जाति की महिला धनी कमारिणी को भिक्षा माता स्वीकार किया था उनके द्वारा पकाया हुआ खाना भी खाते थे वे जाति का अहंकार को त्याग ने के लिए जेनोई तक नहीं पहनते थे।
रामकृष्ण परमहंस एक सनातनी हिन्दू थे लेकिन सभी धर्म को सम्मान और श्रद्धा करते थे।उनके पास सभी धर्म और जाति के लोग ज्ञान और भक्ति अर्जन करने के लिए आते थे। सभी लोग समझते थे रामकृष्ण जी हमारे धर्म और पंथ के महापुरुष हैं रामकृष्ण परमहंस के पास पापी,धार्मिक, भक्त अभक्त,आस्तिक, नास्तिक सभी प्रकार के लोग आते थे। वे सभी को आदर करते थे,प्यार देते थे,धार्मिक उपदेश देते थे।
रामकृष्ण परमहंस माँ काली के उपासक थे साधना द्वारा उनको दर्शन किये थे।इसके अलावे हिन्दू धर्म के सभी पथ और मत पर साधना करके सिद्धि लाभ किये थे केवल येही नहीं निराकार परमब्रह्म की साधना करके निर्विकल्प समाधि भी लाभ किये थे।इसके अलावे इस्लाम और ईसाई धर्म मत पर भी साधना करके सिद्धि प्राप्त किये थे।
रामकृष्ण परमहंस माँ शारदा देवी से शादी किया था लेकिन संसार नहीं किया शारदा माँ को देवी के आसन में बैठाकार देवी के रूप में पूजा भी किया था जो दुनिया में एक ऐतिहासिक नजिर है। वे संसारी भी थे और संन्यासी भी थे।
रामकृष्ण परमहंस नारी जाति को बेहद सम्मान करते थे वे नारी जागरण का नायक भी थे।इसलिए उन्होंने धनी कामारिणी को भिक्षा माँ बनाया था,मातृ साधना की थी,भैरवी ब्राह्मणी नाम के एक नारी को गुरु बनाया था।एक शूद्र जाति के नारी रानी रासमणि द्वारा प्रतिष्ठित काली मंदिर का पुजारी बने थे।अनेक नारी भक्तों को दीक्षा भी दिए थे।अंत में अपनी धर्म पत्नी माँ शारदा देवी को पुजा भी की थी।
रामकृष्ण पूरी दुनिया को धर्म सहिष्णुता, धार्मिक एकता,धार्मिक उदारता,सर्व धर्म सद्भावना का पाठ भी पढ़ाया था।वे साकार और निराकार दोनों को मानते थे।
रामकृष्ण परमहंस एक मूर्ख आदमी था लेकिन उनके पास बड़े बड़े पंडित,ज्ञानी और शिक्षित आदमी आकर चुप हो जाते थे जैसे,,केशव चन्र्द सेन,महेंद्र गुप्त, नरेंद्र नाथ दत्त,गिरीश चंद्र घोष, विजय कृष्ण गोश्वामी,ईश्वर चंद्र विद्यासागर,बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, माइकेल मधुसूदन दत्त, डॉ महेंद्र लाल सरकार आदि प्रमुख हैं।सभी की बोलती बंद हो जाती था।वे सभी का अहंकार को चूर चूर कर देते थे।
रामकृष्ण परमहंस एक धर्म गुरु,सिद्ध पुरुष और अवतारी पुरुष थे लेकिन कोई नया धर्म का प्रचार नहीं किया नया पंथ का सृष्टि नहीं किया अपना भाव और विचार को ग्रहण करने के लिए किसी को वाध्य नहीं किया।वे कहते थे किसी एक को मानो लेकिन दूसरे को श्रद्धा और सम्मान करो।ईश्वर एक है लेकिन नाम और रूप अनेक है।जितना मत है उतना ही पथ है।
आओ सभी रामकृष्ण देव जी के बताए हुए मार्ग पर चलने की चेष्टा करें और उनकी उदार विचार धाराओं को ग्रहण करके एक सुंदर मानव समाज और सुंदर धरती का निर्माण करें।
जय रामकृष्ण।