झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

धोखे कितने इस रस्ते में?

धोखे कितने इस रस्ते में?
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ऐ दिल तू प्यार नहीं करना, धोखे कितने इस रस्ते में
वो देते जख्म जिन्हें अक्सर, कहते अपने इस रस्ते में

साहिल से देख जरा सागर, केवल पानी ही पानी है
तेरी क्या प्यास बुझी, चाहे, पानी जितने इस रस्ते में

सब जीवन को कहते सपना, जीवन चलता है सपनों से
जब तक जीवन देखो हरदम, नूतन सपने इस रस्ते में

संघर्ष बहुत जीवन में तो, आपस में प्यार जरूरी है
दोनों का मान रखो तो गम, लगता बंटने इस रस्ते में

कुन्दन जैसा महके कैसे, इस जीवन से तू सीख सुमन
फिर अंधियारा इस जीवन से, लगता छंटने इस रस्ते में

श्यामल सुमन