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धनतेरस क्यों मनाते है? जानें शुभ मुहूर्त

धनतेरस क्यों मनाते है? जानें शुभ मुहूर्त

जमशेदपुर-2 नवम्बर, 2021 (मंगलवार)
भारतीय समाज और परंपरा की यह खूबी है इसमें जीवन के हर पहलू को ईश्वर की कृपा से जोड़ा गया है जैसे के बर्तन खरीदने जैसे घरेलू काम के पीछे भी अदभुत कथा है और इसलिए सिर्फ बर्तन ही नहीं बल्कि धन की भी पूजा होती है। तभी तो इतनी धूमधाम से धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देवता धनवंतरि की पूजा की जाती है जीवन में स्वास्थ्य बना रहे लंबी आयु हो और खुशहाल जीवन बिताने के लिए जरूरत पड़े उतना धन हो इसलिए धनतेरस मनाया जाता है।
*धनतेरस शुभ मुहुर्त*
2 नवंबर, 2021 (मंगलवार)
*प्रदोष काल – शाम 5:37 बजे से रात 8 : 11 बजे तक।
*वृषभ काल – शाम 6:18 बजे से रात 8.14 बजे तक।
*धनतेरस पूजन – शाम 6:18 बजे से रात 8:11 बजे तक।
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। दिवाली से पहले कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को धन त्रयोदशी या धनवंतरि जयंती भी कहा जाता है। धनतेरस पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवन्तरी और धन कुबेर की उपासना करने से घर में धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं, इसीलिए इस त्योहार को धन और समृद्धि का कारक माना जाता है।
धनतेरस से ही शुभ दीपोत्सव की शुरुआत होती है। रोशनी के इस त्योहार पर मां लक्ष्मी की कृपा रहती है। उससे पहले धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि और धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही शाम के वक्त परिवार की मंगलकामना के लिए यम नाम का दीपक भी जलाया जाता है।
कहा जाता है कि धनतेरस के दिन जहां यमराज के लिए दीपक का दान किया जाता है वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस दिन लक्ष्मी पूजा शुभ मानी जाती है। श्री सूक्त में वर्णित है कि लक्ष्मी की पूजा करने वाला व्यक्ति धन से युक्त होकर स्वस्थ शरीर और लंबी आयु का सुख भोगता है। कुबेर देव भी आसुरी प्रवृत्ति को दूर करने वाले देवता हैं इसलिए उनकी पूजा भी धनतेरस के दिन प्रचलित है।

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश पाठक
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