विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को नया जीवन देने वाले जयप्रकाश यानी जेपी का जन्म आज ही के दिन 1902 में हुआ था. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास जानकारी
पटना: आज ही के दिन 1902 में जेपी ने सिताबदियारा में जन्म लेकर देश में इतिहास रच दिया था. संपूर्ण क्रांति आंदोलन के तहत केंद्र सरकार का तख्ता ही पलट दिया था. जयप्रकाश पूरे देश की आवाज थे.
देश में आजादी की लड़ाई से लेकर साल 1977 तक तमाम आंदोलनों की मशाल थामने वाले जयप्रकाश नारायण का नाम देश के ऐसे शख्स के रूप में उभरता है, जिन्होने अपने विचारों, दर्शन और व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की थी. उनका नाम लेते ही एक साथ उनके बारे में लोगों के मन में कई छवियां उभरती हैं. लोकनायक के शब्द को असलियत में चरितार्थ करने वाले जयप्रकाश नारायण अत्यंत समर्पित जननायक और मानवतावादी चिंतक तो थे, साथ साथ उनकी छवि अत्यंत शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है. जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और राजनीतिक मामलों के जानकार आनंद कुमार कहते है कि ‘मैं उनका तीसरी पीढ़ी का अनुयायी था. पितामह, पिता और स्वयं के संबंधों के प्रकाश में यह भी स्पष्ट याद आता है कि वह अपने मित्रों और सहयोगियों के प्रति अत्यंत प्रेममयी संबंध रखने वाले असाधारण नेता थे.’उन्होंने जयप्रकाश को याद करते हुए कहा ‘उनको आप सभी दृष्टियों में एक अजातशत्रु, महामानव की परंपरा का श्रेष्ठ प्रतीक कह सकते हैं.’ जय प्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में आने वाले ‘लाला का टोला’ में हुआ था.पहले से ज्यादा प्रासंगिक…’जेपी’
जय प्रकाश नारायण की प्रासंगिकता के बारे में पूछे गये सवाल के जबाव में जानकार कहते है कि, ‘वह आज के समय में पहले से ज्यादा प्रासंगिक हैं.’ जयप्रकाश नारायण ने जो सवाल उठाया था उसका जवाब उनके जीवन काल में नहीं मिल पाया. वह समस्या आज पहले से भी ज्यादा विकराल रूप में यथावत है और उससे निपटने का आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है.
जयप्रकाश हमेशा चुनाव सुधार की बात करते थे और इसमें कम खर्च करने पर जोर देते थे. वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में 100 करोड़ रूपये खर्च होने पर जयप्रकाश नारायण ने अफसोस जताया था लेकिन आज के समय में किसी एक लोकसभा क्षेत्र में इससे कहीं ज्यादा धन खर्च हो जाता है. ऐसे में सुधार को लेकर आज उनकी प्रासंगिकता कहीं अधिक बढ़ जाती है.1977 में ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’
जयप्रकाश नारायण को वर्ष 1977 में हुए ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ के लिए जाना जाता है लेकिन वह इससे पहले भी कई आंदोलनों में शामिल रहे थे. उन्होंने कांग्रेस के अंदर सोशलिस्ट पार्टी योजना बनायी थी और कांग्रेस को सोशलिस्ट पार्टी का स्वरूप देने के लिए आंदोलन शुरू किया था.
इतना ही नहीं जेल से भाग कर नेपाल में रहने के दौरान उन्होंने सशस्त्र क्रांति शुरू की थी. इसके अलावा वह किसान आंदोलन, भूदान आंदोलन, छात्र आंदोलन और सर्वोदय आंदोलन सहित छोटे-बड़े कई आंदोलनों में शामिल रहे और उन्हें अपना समर्थन देते रहे.
जयप्रकाश नारायण के ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन का उद्देश्य सिर्फ इंदिरा गांधी की सरकार को हटाना और जनता पार्टी की सरकार को लाना नहीं था, उनका उद्देश्य राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाना था. जयप्रकाश के जीवन काल में सिर्फ एक राज्य सरकार ऐसी थी जिसने उनके सपनों को साकार करने के लिए कुछ प्रयास किया. राजस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने ‘अंत्योदय कार्यक्रम’ चलाया था
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