भटके को आईना दिखाने की भूख है **************************** छपने की भूख ना छपाने की भूख…
ब्लॉग
दिल भी शीशे की तरह टूट गया ************************* नहीं जज्बात दिल में कम होंगे तेरे…
आँखों में गंगाजल आया ***************** आज धूप, कल बादल आया नहीं उलझनों का हल आया…
दिल में रखना आग मुसाफिर *********************** हो मन में अनुराग मुसाफिर तब जीवन बेदाग मुसाफिर…
साहित्यकार सह समाजसेवी सुनील कुमार डे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पुरस्कार 2022 से सम्मानित झारखंड के जाने…
मर मर के जीने से अच्छा ******************* तू बन्दूक उठा ले प्यारे, मैं शब्दों से…
बेच रहे क्यों टुकड़े टुकड़े? ******************** राजन्! जनता आज हताश। बेच रहे क्यों टुकड़े टुकड़े,…
तुम गीतों के सौदागर हो ****************** तुम गीतों के सौदागर हो, हम गीतों में जीते…
बंध्याकरण चालू आहे ****************” दशकों पहले “हम दो, हमारे दो” जैसे लोकप्रिय नारे के साथ…
हम जनता अज्ञानी साहिब ******************** गढ़ते रोज कहानी साहिब फिर करते मनमानी साहिब सभी ज्ञान…
भाषा अब छोड़ो सुल्तानी ******************* रख जीवन में सदा रवानी। मगर नहीं करना मनमानी।। सबके…
कलम, सुमन ने थाम लिया ******************* सब कहते कि इस जीवन का, परिवर्तन से नाता…
तस्मै श्री गुरुवे नमः ************** कभी समय रक्षक होता है और कभी भक्षक होता है…
परिवर्तन की बात करें **************** लाया है बैशाख तपिश तो, चल सावन की बात करें…
भले हंसों सा चल पड़े कौवा ********************* चाहे खुद से मलाल रखता हूँ घर में…
रूठा क्यों बादल अभी? ***************** सावन, भादौ मास दो, मूल सृजन का द्वार। सबके भोजन…
मौसम या जीवन में पतझड़ ********************* भीतर शांत समन्दर कितना, मगर किनारे शोर बहुत मिलन…
धरती का श्रृंगार ************ झूमर, कजरी लिख दिया, कुछ सावन के गीत। गाऊँ जिसके साथ…
बौना भी क्यों लम्बा दिखता? ********************** जो शासक को सीधा दिखता आम जनों को उल्टा…
बाँट करके खाना हमारी संस्कृति ************************ दुनिया भाग रही है। हम भी भाग रहे हैं…
भाषा की शव-यात्रा *************** हमारी भाषा! पहले प्रेम की भाषा, सह-अस्तित्व की भाषा, और मर्यादा…
झूठ शर्म से लाल हुआ ***************** भाषण, विज्ञापन में कहते, भारत मालामाल हुआ हुई झूठ…