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बिना सरकारी मदद के आत्मनिर्भर बन रही हैं यहां की महिलाएं, महिला सशक्तीकरण का बेजोड़ उदाहरण

बिना सरकारी मदद के आत्मनिर्भर बन रही हैं यहां की महिलाएं, महिला सशक्तीकरण का बेजोड़ उदाहरण

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लोगों की रोजगार छिन गए हैं. ऐसे लोगों पर आर्थिक संकट गहरा रहा है. इससे उबरने के लिए सरकार ने स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाया है, ताकि लोग आत्मनिर्भर बन सके. जमशेदपुर के धर्मा टोला की फूलो देवी ने बिना सरकारी मदद के ही आत्मनिर्भर बनने की राह पर चलना शुरू कर दिया है, जो काबिलेतारीफ है.

जमशेदपुर: वैश्विक महामारी के कारण देश में आर्थिक संकट की समस्या बनती जा रही है, जिसे देखते हुए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है. वहीं, जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने बिना सरकारी मदद के ही आत्मनिर्भर बनने की राह पर चलना शुरू कर दिया है, जो आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं.
कोरोना वायरस को लेकर देश में किए गए लॉकडाउन के बाद छोटे-बड़े उद्योगों के अलावा जमीनी स्तर पर काम करने वालों पर गहरा असर पड़ा है. बेरोजगारी और आर्थिक संकट की समस्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिससे निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाओं को लाया गया है, जिसके तहत तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ आर्थिक मदद दी जा रही है, जिससे देश आत्मनिर्भर बन सके. इधर, जमशेदपुर के पोटका विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं बिना सरकारी मदद के ही आत्मनिर्भर बनने की राह पर चलना शुरू कर दिया है, ताकि वह वैश्विक महामारी के संकटकाल में हुए आर्थिक संकट से उभर सके.
जमशेदपुर के धर्मा टोला गांव में रहने वाली ग्रामीण महिला फूलो हेंब्रम ने सीमेंट का पॉट बनाना शुरू कर दिया है. सांचा से बनने वाला सीमेंट के पॉट को फूलो हेंब्रम जुगाड़ यंत्र की मदद से बना रहीं हैं. प्लास्टिक के अलग-अलग साइज के पुराने गमले का इस्तेमाल कर बिना मशीन के अपने हाथों से सीमेंट का गमला बनाने वाली फूलों हेंब्रम के गमले की चर्चा आसपास के क्षेत्रों में हो रही है.

ये महिलाएं बिना सरकारी मदद के कम पूंजी से आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ी हैं. गमला बनाने के बाद उसे पेंटिंग कर पौधा लगाकर बेचती हैं. इस रोजगार को चलाने वाली फूलो हेंब्रम बताती हैं कि उसके पति को कोरोना काल में काम में परेशानी हुई हैं, जिससे परिवार पर आर्थिक संकट का बोझ आ गया है. ऐसे में पति का सहारा बनने के लिये उसने यह काम शुरू किया है.

अभी कम संख्या में गमले की बिक्री हो रही है. पौधे वाले गमले की मांग ज्यादा है. पौधे वाले गमले के जरिये वह पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहती हैं. उसे भरोसा है कि आने वाले दिनों में इसकी बिक्री और बढ़ेगी. वह गमला बनाकर उसे पेंट करती है और उसमें अलग-अलग किस्म के पौधे लगाकर बेचती हैं. गमला खरीदने के लिए सुबह 11 बजे से शाम के 4 बजे तक का समय है.

गमला खरीदने आए एक ग्रामीण शंकर हेंब्रम ने बताया कि उसकी बस्ती में कई लोगों ने यहां से गमला खरीदा है. यहां का गमला सुंदर और सस्ता होता है. बाजार में सीमेंट से बने गमले की कीमत से यहां का गमले की कीमत कम है. उन्हें खुशी है कि गांव की महिलाएं इस तरह का काम कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.
इधर कोरोना काल के आर्थिक संकट से निपटने के लिए महिलाओं ने खुद कमान संभालते हुए खेती करना भी शुरू कर दिया है और उसके उत्पादन को बाजार और आसपास के क्षेत्रों में बेच रही हैं, जबकि कुछ महिलाएं समूह बनाकर बिना सरकारी मदद के आत्मनिर्भर बनने के लिए घरेलू उत्पादों को बना रही हैं. दूसरी ओर जमशेदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रवीण कुमार बताते हैं कि ग्रामीण महिलाओं में ऐसी सोच सराहनीय है. सरकार लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाओं को धरातल पर लाई है, जिसका लाभ वह ले सकती है. जरूरत पड़ने पर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक जनता इसका लाभ ले सके. बहरहाल, वर्तमान समय में फूलो हेंब्रम की ओर से बिना सरकारी मदद के आत्मनिर्भर बनने की पहल सराहनीय कदम है. जरुरत है महिलाओं को फूलो हेंब्रम से सीखने की, ताकि देश से बेरोजगारी दूर हो और हमारा एक सशक्त देश बन सके.