भूत, भाग्य, भगवान वही
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जो भी है अज्ञात जगत में, भूत, भाग्य, भगवान वही
डर डर के जीता जो अपना, कर लेता नुकसान वही
सुनी, सुनायी बातों से क्या, नूतन अनुभव मिले सुमन
अनुभव बिनु विश्वास करोगे, खुद का है अपमान वही
देख जिन्दगी में सुख-दुख का, आना-जाना लगा हुआ
सफल हुए तो खुश हो लेते, या पछताना लगा हुआ
खट्टे, मीठे सारे अनुभव, निज कर्मों से मिलता है
शायद ये कारण जीवन भर, रोना, गाना लगा हुआ
पाखंडों में उलझ गए तो, जीवन समझो भारी है
अपने भीतर झाँक लिया तो, इसमें दुनिया सारी है
चश्मा है रंगीन अगर तो, सच दिखना मुश्किल होता
साफ विचारों से जग देखो, दुनिया कितनी प्यारी है
बढ़ा रहे व्यक्तित्व सभी यूँ, मेरा हो आकार बड़ा
लोग विमुख कर्तव्यों से जो, मांग रहे अधिकार बड़ा
प्यार लुटाकर व्यक्तित्वों की, परिधि बढ़ना संभव है
लोग बड़ा उतना ही होता, जितना है परिवार बड़ा
श्यामल सुमन
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