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भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग सिखाती है श्रीमद् भागवत कथा: पंडित मेहता

भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग सिखाती है श्रीमद् भागवत कथा: पंडित मेहता

*कृष्ण के स्मृति को अगर आप कहीं पायेंगे तो भागवत में पाएंगे : पंडित मेहता

जीवन में भागवत कथा हमें क्या सिखाती है? आखिर, ऐसे आयोजनों से क्या लाभ होता है? जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता ने कहा की इन सवालों के जवाब हमें भागवत शब्द के विच्छेद से पता चलता है। भ-भक्ति, ग-ज्ञान, व-वैराग्य और त-त्याग यानी जो कथा में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य सीखाकर त्याग, तपस्या के मार्ग से मोक्ष तक ले जाए वह होती है भागवत कथा। जिस प्रकार रामायण हमें जीना सिखाती है, महाभारत हमें रहना और गीता हमें कार्य करने का उपदेश देती है उसी प्रकार भागवत कथा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हमें मरना सिखाती है। हमें जीवन के अंत समय में किस तरह और क्या कार्य करने चाहिए इस कथा से सीखने को मिलता हैं। पंडित मेहता आज जमशेदपुर कदमा में स्थित कुडी महन्ती ऑडिटोरियम परिसर में श्रीमद् भागवत कथा- ज्ञान यज्ञ का वाचन कर रहे थे। तीन दिवसीय कथा के अंतिम दिन उन्होंने कहा की जीवन में आने वाली समस्याओं से भागता है, उसे समस्याएं अपने नजदीक खींच लेती है इसलिए भागवत उपदेश देती है की समस्याओं से भाग मत यानी इन समस्याओं पर विजय प्राप्त कर। कथा का आयोजन गोयल परिवार द्वारा अपने पितरों के स्मृति में आयोजित किया गया था। गोयल परिवार के आयोजन कर्ताओं में प्रेम – अर्चना गोयल, दामोदर – पुष्पा गोयल, दिलीप – जयश्री गोयल, रेणु गोयल , अशोक – प्रमिला गोयल, राजू – बिमला, विजय – आशा, दीपक – प्रीति, रोहित – ऋतु, अक्षय – सुमेधा,अंकित – सोनम शामिल है।

श्रीमद् भागवत कथा में अमृतवर्षा करते पंडित विजय शंकर मेहता ने बताया कि जीवन में पांच तरह से आती है समस्याएं पंडित मेहता ने कहा की प्रत्येक मनुष्य के जीवन में पांच तरह से समस्याएं आती हैं यह पांच समस्याएं संसार, संबंधों, संपत्ति, स्वास्थ्य और संतान है, जिनसे लड़ते-लड़ते हम देह त्याग देते है। जो इन समस्याओं को जीतकर प्रभु भक्ति में लीन रहता है, वह संसार में रहकर भी संसार को जीतकर साधु बन जाता है। इसके बाद व्यक्ति मोक्ष की तरफ अग्रसर होता है। मेहता ने कहा की इन समस्याओं के बीच में हमें हमेशा मुस्कुराते हुए रहना चाहिए क्योंकि मुस्कराने से समस्याएं कम होती है और रोने से बढ़ती है।

पंडित मेहता बताते हैं कि गुरु की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि हर माता-पिता को चाहिए कि बच्चों के लक्ष्य उनके बचपन में ही तय कर उनके लिए कोई योग्य गुरु ढूंढ लें. जब कभी जीवन में भ्रम हो जाए, अपराध हो जाए, भूल हो जाए तो इधर-उधर न भटकते हुए किसी संत, किसी गुरु के पास ले जाएं. वे आपको निदान बताएंगे. गुरु आपका पाप अपने ऊपर तो नहीं लेंगे परंतु आपको होश और मार्गदर्शन जरूर देंगे, जिससे आपको उस समस्या का समाधान मिलेगा। कृष्ण के स्मृति को अगर आप कही पायगे तो भागवत में पाएंगे।
श्रीमद् भागवत कथा में मंत्री बन्ना गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार राधेश्याम अग्रवाल, भाजपा नेता राकेश भास्कर, मनोज कुमार सिंह समाजसेवी मुरलीधर केडिया, मनोज कांवटिया, उमेश कांवटिया, उमेश शाह, विमल मुरारका, विश्वनाथ शर्मा, छितरमल धूत सहित जमशेदपुर शहर के कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।