झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

भाषा अब छोड़ो सुल्तानी

भाषा अब छोड़ो सुल्तानी
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रख जीवन में सदा रवानी।
मगर नहीं करना मनमानी।।

सबके सँग जीना, ही जीना,
जहर गमों का हँसकर पीना।
आपस में हम रहते कैसे?
छोड़ चलें वह प्रेम निशानी।।
रख जीवन में ——-

कौन बड़ा या कौन है छोटा?
नहीं समझना किसी को खोटा।
सबको मान बराबर दे कर,
गढ़ो प्रीत की नयी कहानी।।
रख जीवन में ——-

नफरत किससे प्यार करोगे?
रिश्तों का व्यापार करोगे??
जहाँ मुहब्बत वहीं जिन्दगी,
प्यार बिना जीते अज्ञानी।।
रख जीवन में ——-

करो सामना, मत डर भागो,
लोग जगेंगे, तुम तो जागो।
जीत प्यार की सुमन सदा है,
भाषा अब छोड़ो सुल्तानी।।
रख जीवन में ——-

श्यामल सुमन