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भारतीय पत्रकारिता के सूर्य थे पं दिनेश दत्त झा

भारतीय पत्रकारिता के सूर्य थे पं दिनेश दत्त झा

मैथिल समाज उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा की 129 वीं जयंती समारोह डा जितेंद्रनाथ मिश्र की अध्यक्षता में नागरीप्रचारिणी सभावाराणसी में सम्पन्न हुई
समारोह का शुभारम्भ आगत अतिथियों द्वारा सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ
सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा के स्मृति दिया जाने वाला सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा पत्रकारिता गौरव सम्मान संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा (एडवोकेट) ने प्रसिद्ध गीतकार,वरिष्ठ पत्रकार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डा लोहिया और साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित डा बुद्धिनाथ मिश्रा और दरभंगा (मिथिलांचल) के वरिष्ठ पत्रकार पं सुभाष कुमार शर्मा को प्रदान किया|
सम्पादकाचार्य स्व.पं.दिनेश दत्त झा पत्रकारिता गौरव सम्मान के तहत 5100 रु.मिथिला संस्कृति के प्रतीक पाग,सॉल,माला, डायरी, कलम और स्व.पं.दिनेश दत्त झा की चित्र स्मृति चिन्ह प्रदान कि गई|
सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा के स्मृति में युवा पत्रकारों को दिया जाने वाला सजग प्रहरी सम्मान वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह, बिहार के वरिष्ठ और राष्ट्रीय अध्यक्ष नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन राकेश कुमार गुप्ता, मृत्युन्जय सिंह ब्यूरो चीफ न्यूज़ 18 (सिवान),मणिकान्त पाण्डेय पीटीआई,News9,अश्वनी श्रीवास्तव जनसंदेश टाईम्स, आनन्द कुमार मोर्य आज के वरिष्ठ फोटोग्राफर,सुनील शुक्ला चीफ फोटोग्राफर राष्ट्रीय सहारा, अभिषेक झा नवभारत टाइम्स, हरि बाबू श्रीवास्तव सिटी हेड के टीवी को दिया गया
सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा सजग प्रहरी सम्मान के तहत पं दिनेश दत्त झा जी का मोमेंटम (चित्र), मिथिला संस्कृति के प्रतीक पाग,सॉल,डायरी, पेन, माला और 1100 सौ रूपये सम्मान स्वरूप दिया गया
समारोह के मुख्य अतिथि के रूप से बोलते हुए डा बुद्धिनाथ मिश्रा ने कहा कि सम्पादन कला जादूगर पं दिनेश दत्त झा को भारतीय पत्रकारिता का सूर्य कहा जाय तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए, दैनिक आज, आर्यवर्त, रणभेरी, समाचार या शान्ति पत्रकारिता हो झा जी ने कभी भी भाषा कि शुद्धता के प्रबल समर्थक थे,प्रूफ संशोधन में मामूली त्रुटि भी उनको बहुत खटकती थी, वह भाषा में हिन्दुस्तानी भाषा के प्रबल विरोधी थे, उन्होंने आर्यवर्त के माध्यम से हिन्दुस्तानी भाषा का ऐसा विरोध किया कि बिहार सरकार को अपनी भाषा नीति का अन्ततः परित्याग करना पड़ा
वर्तनी, भाषा, व्याकरण और हिन्दी की प्रकृति की रक्षा के लिए हमेशा क्रियाशील रहते थे,अन्वेषण बुद्धि होने के कारण हिन्दी पत्रकारिता को नई दिशा देने में अभिरुचि रखते थे
समारोह कि अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डा जितेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि प्रधानाध्यापक कि नौकरी छोड़कर सन 1940 ई. में आज के सम्पादकीय विभाग में कभी रिपोर्टर तो कभी डाक सम्पादक और प्रबंध सम्पादक के रूप में कार्य किया, झा जी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं लेखन का भी कार्य करते थे|
झा जी विद्धानों का बहुत आदर करते थे,इनके आवास पर साहित्यकारों और पत्रकारों का जमघट लगा रहता था, झा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू के साथ रत्नाकर रसिक मण्डल की बैठक में इनसे मिलने बांसफाटक स्थित उनके आवास पर मिलने पहुंचे थे
समारोह का संयोजन/संचालन गौतम कुमार झा (एडवोकेट) ने किया स्वागत संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा (एडवोकेट) और डा विजय कपूर ने किया धन्यवाद ज्ञापन दास पुष्कर और सुधीर चौधरी ने किया
समारोह में प्रमुख रूप से सभाजीत शुक्ल, ब्रिजेश पाण्डेय, डा जय शंकर जय, नटवर झा हरिमोहन पाठक आदि लोग उपस्थित थे