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बदलते परिवेश में बदल रही पोस्ट ऑफिस की सूरत, बढ़ रही ग्राहकों की सुविधा

एक दौर था जब लोग डाकिया के आने का इंतजार करते थे, लेकिन बदलते परिवेश और तकनीक की वजह से डाकघर की व्यवस्थाएं भी बदल गईं हैं. अब डाकघर के जरीय लोग इलेक्ट्रिसिटी बिल, वाटर बिल, डीटीएच रिचार्ज और किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में मनी ट्रांसफर सहित कई योजनाओं का लाभ ले सकते हैं. रांची: एक समय था जब डाकिया के आने का लोग इंतजार करते थे. डाकिया जिस रास्ते से गुजरता था, लोग उसे ध्यान से देखते रहते थे और पूछते भी थे कि कहीं उनके रिश्तेदार ने चिट्ठी तो नहीं भेजी है, लेकिन देखते ही देखते सब कुछ बदल सा गया. अब अगर डाकिया आता है तो सिर्फ सरकारी दस्तावेज लेकर. तकनीक और आधुनिकता ने डाकघरों में भी समय-समय पर बदलाव किए हैं. पुराने डाकघर ने बदलते समय में नई तकनीक अपनाई है और हाईटेक बन गया है. डाक सेवाएं नवीनतम टेक्नॉलॉजी के साथ कस्टमर फ्रेंडली सेवाएं भी लागू कर रही हैं. पोस्टकार्ड से शुरू डाक विभाग अब पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत हो चुका है. अब डाकघर पोस्ट ऑफिस नहीं, बल्कि ‘पोस्ट शॉपी’ का रूप ले चुका है. जहां आम आदमी की जरूरत की हर सुविधा उपलब्ध है. यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि बदलते परिवेश के साथ-साथ पोस्ट ऑफिस ने भी अपने आप को धीरे-धीरे अपडेट करना शुरू कर दिया है. यह तमाम चीजें लोगों की जरूरत और अपेक्षाओं के अनुसार किया है, क्योंकि डाकघर में अब भी लोगों को अटूट विश्वास है.
झारखंड डाक महाध्यक्ष शशि शालिनी कुजुर बताती हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौर में भी डाक कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना वॉरियर्स के रूप में लोगों को मदद कर अपनी अहम भूमिका निभाई है. दवाइयां, मास्क, पीपीई कीट्स जरूरतमंदों तक पहुंचाया है, साथ ही इस लॉकडाउन के दौरान शहर से लेकर दूरदराज के गांवों तक लोगों को उनके दरवाजे पर ही नगद पहुंचाने का काम किया है. इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) के आईपीएस एसिडिटी के कारण संभव हुआ है, इस माध्यम से आप किसी भी बैंक में खाता हो तो वह डाकिया के जरिए पैसे अपने घर तक मंगवा सकते हैं. इसके लिए पोस्ट ऑफिस में बचत खाता होने की जरूरत भी नहीं है. झारखंड डाक महाध्यक्ष शशि शालिनी कुजुर का कहना है कि जो लोग मानते हैं कि डाक सेवा बदलते परिवेश में अपने आप को नहीं बदला बिल्कुल गलत है, क्योंकि डाक सेवा अब बदल चुका है. इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक आईपीपीबी के जरिए लोग ऐप या पोस्टमैन के जरिए इलेक्ट्रिसिटी बिल, वाटर बिल, डीटीएच रिचार्ज और किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में मनी ट्रांसफर कर सकते हैं, साथ ही लोगों की सुविधा के लिए एटीएम उपलब्ध कराए गए हैं, जिसके जरिए आपका किसी भी बैंक में खाता हो तब भी आप एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं.
सुकन्या समृद्धि योजना और वृद्ध व्यक्तियों के लिए योजनाएं चलाई जा रही है. जैसे पोस्ट ऑफिस की योजनाएं और सेवाएं, सेविंग अकाउंट, 5 साल वाला रिकरिंग डिपॉजिट (RD), पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (TD), पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम अकाउंट (MIS), सुकन्या समृद्धि स्कीम, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS), किसान विकास पत्र (KVP), आधार कार्ड बनाना, पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र, पोस्ट ऑफिस पर आज भी लोगों को अटूट भरोसा है. झारखंड में 1 करोड़ 27 लाख 8 हजार 579 लोगों का पोस्ट ऑफिस में खाता है. पोस्ट ऑफिस ने अपने ग्राहकों की सुविधा के मद्देनजर पूरे झारखंड में 19 एटीएम की सुविधा उपलब्ध कराई है. 13 प्रधान डाकघर, 454 उप डाकघर और 3,822 शाखा ब्रांच है. कुल मिलाकर 4,289 सिर्फ झारखंड में है. बदलते परिवेश में जिस तरीके से धीरे-धीरे डाक सेवा ग्राहकों की सुविधा के अनुसार, अपने आप को बदल रही है. ग्राहकों का भी भरोसा लंबे समय से डाकघरों में बना हुआ है, लेकिन उनका मानना है कि अब भी डाक सेवा को काफी बदलने की जरूरत है, क्योंकि जिस तरीके से प्राइवेट सेक्टर और बैंकों की ओर से कस्टमर को सुविधा दी जा रही है, उस लिहाज से आज भी डाक सेवाएं काफी पीछे हैं. ऐसे में ग्राहकों की सुविधा के मद्देनजर डाक सेवा को अब भी और बेहतर करने की जरूरत है.
डाक अभिकर्ता की मानें तो ग्राहकों के जरूरत के हिसाब से डाक सेवा अब काम कर रही है. लोगों के घर-घर जाकर खाता खोलना और उनके हाथों तक पैसा पहुंचाना अब डाक की ओर से किया जा रहा है, ताकि ग्राहकों को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान हो सके. भारतीय डाक व्यवस्था का 500 साल पुराना इतिहास रहा है. अंग्रेजों ने सैन्य और खुफिया सेवाओं की मदद के लिए भारत में पहली बार साल 1688 में मुंबई में पहला डाकघर खोला था. फिर उन्होंने अपनी सुविधा के लिए देश के अन्य इलाकों में डाकघरों की स्थापना कराई. 1766 में डाक व्यवस्था के विकास के लिए कई कदम उठाते हुए भारत में एक आधुनिक डाक व्यवस्था की नींव रखी गई. 1774 में कोलकाता में पहला जीपीओ की स्थापना की गई. यह जीपीओ एक पोस्ट मास्टर जनरल के अधीन कार्यरत था, जिसके बाद 1786 में मद्रास और 1793 में मुंबई प्रेसीडेंसी में जनरल पोस्ट ऑफिस की स्थापना की गई.
पिछले कई सालों में डाक वितरण के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है. पोस्टकार्ड 1879 में चलाया गया, जबकि वैल्यू पेएबल पार्सल और बीमा पार्सल 1977 में शुरू किए गए. भारतीय पोस्टल आर्डर 1930 में शुरू हुआ तेज डाक विवरण के लिए पोस्ट इंडेक्स नंबर पिन कोड 1972 में शुरू हुआ. तेजी से बदलते परिदृश्य और हालात के मद्देनजर रखते हुए 1985 में डाक और दूरसंचार विभाग को अलग-अलग कर दिया गया. समय की तब्दीली और समयानुकूल अनुसार समय को ध्यान में रखकर 1986 में स्पीड पोस्ट शुरू हुआ और 1994 में मेट्रो राजधानी व्यापार चैनल ईपीएस और वीसैट के माध्यम से मनी ऑर्डर भी भेजा जाना शुरू कर दिया गया.