झारखंड में नक्सली संगठनों ने बड़े पैमाने पर विदेशी हथियार खरीदे हैं. बता दें कि इन हथियारों का जखीरा बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते बिहार और झारखंड के नक्सलियों तक पहुंचता है.
रांची: झारखंड में नक्सली संगठनों ने बड़े पैमाने पर विदेशी हथियार खरीदे हैं. एनआईए की जांच में नक्सली संगठनों के नागा हथियार तस्करों के गैंग और बिहार के हथियार तस्करों की मिलीभगत से उग्रवादी संगठनों तक हथियार पहुंचाने की बात सामने आयी है.
इन हथियारों का जखीरा बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते बिहार और झारखंड के नक्सलियों तक पहुंचता है. बुधवार को पलामू में पुलिस और टीपीसी उग्रवादियों के बीच हुए मुठभेड़ के बाद अमेरिकन राइफल बरामद की गई है. एनआईए की जांच के आधार को माने तो राज्य में नागलैंड के हथियार तस्करों से सर्वाधिक हथियार झारखंड के टीपीसी नक्सलियों ने खरीदी है. हथियार तस्कर संतोष सिंह ने एनआईए को इस बात की जानकारी दी थी कि टीपीसी नक्सलियों ने 50 से अधिक विदेशी हथियार खरीदी है. हथियार तस्करों का गैंग अमेरिकन, इजरायली और जर्मन हथियारों तक की डिलिवरी करता है. हथियार की डिलिवरी के बाद हवाला के जरिए पैसों का भुगतान होता है. हथियार तस्कर गैंग का रांची के दो बैंकों में खाता होने की बात भी सामने आयी थी.
एनआईए के मुताबिक, नागालैंड से एके-47 जैसे हथियार और 50,000 से अधिक गोलियां नक्सलियों तक पहुंचाई जा चुकी है. हथियार तस्करों ने बिहार और झारखंड में हथियार सप्लाई करने के लिए अपना कोड वर्ड बना रखा है. हथियार तस्कर जब आपस में फोन पर संपर्क करते हैं तो वे एके-47 को अम्मा बोलते हैं, जबकि गोलियों को उनके बच्चे. अगर हथियार तस्कर फोन पर यह कहते पाए गए कि अम्मा अपने बच्चों के साथ जा रही है तो इसका मतलब हुआ कि एके-47 और कारतूस की डिलिवरी हो रही है
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड का नेता आखान सांगथम झारखंड और बिहार में नक्सलियों तक विदेशी हथियार की तस्करी कराता है. आखान की पैठ नागालैंड में काफी अच्छी है. झारखंड-बिहार के कई हाई प्रोफाइल लोगों का आर्म्स लाइसेंस भी उसने नागालैंड से फर्जी कागजात के जरिए बनवाया है. आखान सांगथम नागालैंड के अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड का कप्तान है. दीमापुर में रहने वाले मुकेश और संतोष सांगथम के लिए काम किया करते थे. इन दोनों ने सूरज को हथियार की सप्लाई के लिए रखा था.
नक्सलियों तक विदेशी हथियार पहुंचाने वाले मुकेश सिंह को बीते साल रांची के अरगोड़ा इलाके से गिरफ्तार किया गया था, जबकि लातेहार के नेतरहाट से त्रिपुरारी सिंह की गिरफ्तारी हुई थी. इन सभी के खिलाफ एनआईए चार्जशीट कर चुकी है.
कब-कब मिले विदेशी हथियार
चतरा में भाकपा माओवादी अजय यादव के पास से मेड इन इंग्लैंड स्प्रिंग राइफल मिले थे.
2015 में लातेहार में आठ अमेरिकी राइफल मिले थे.
2011 में रांची में बूटी मोड़ के पास से पुलिस ने अमेरिकी रॉकेट लॉन्चर के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया था. यह हथियार अमेरिकी और पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती थी. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को इसकी सप्लाई होनी थी.
सिमडेगा और हजारीबाग में पाकिस्तानी कारतूस और अमेरिकी राइफल की बरामदगी हुई थी, इन मामलों की भी जांच एनआईए ने शुरू की थी.
अगस्त 2020 में पलामू में टीपीसी नक्सलियों के पास से अमेरिकन राइफल मिले.
एनआईए की जांच में यह भी सामने आई है कि नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और पीएलएफआई के पास भी अत्याधुनिक विदेशी हथियार मौजूद हैं. इन हथियारों को भी बांग्लादेश के रास्ते ही भारत लाया गया और फिर जंगलों तक पहुंचाया गया.
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