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बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ धाम को खोलने को लेकर संशय बरकरार

भादो महीने के दौरान आम श्रद्धालुओं के लिए देवघर और दुमका जिले में स्थित शिव मंदिर का द्वार खुलेगा या नहीं, अभी इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. इसके बावजूद दुमका जिला प्रशासन की ओर से मंदिर खोले जाने की सूरत में श्रद्धालुओं को दी जाने वाली व्यवस्था और सुविधाओं का जायजा लेना शुरू कर दिया गया है. इस पर अंतिम फैसला अब सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी ही लेगी.

रांची: प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार देवघर और दुमका जिले में स्थित शिव मंदिर खोलने को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बैद्यनाथ धाम मंदिर का दरवाजा श्रावण पूर्णिमा के दिन 3 अगस्त को एक दिन के लिए खोला गया था, लेकिन उसके बाद फिर मंदिर दोबारा नहीं खोला गया है.
प्रोजेक्ट बिल्डिंग के सूत्रों की मानें तो इस बाबत राज्य सरकार किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि दोनों मंदिरों के दरवाजे खोलने को लेकर निर्णय नहीं हो पा रहा है. दरअसल सावन समाप्ति के बाद शुरू हुए भादो महीने में दोनों मंदिरों के दरवाजे खोलने को लेकर सरकार दबाव में है.
इतना ही नहीं गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि सावन और भादो महीने में बैद्यनाथ धाम मंदिर के दरवाजे खोलने को लेकर राज्य सरकार को विचार करना चाहिए. दुमका स्थित बासुकीनाथ धाम का दरवाजा खोलने के लिए भी वहां के जिला प्रशासन ने बाकायदा बैठक कर इससे जुड़ा एक प्रस्ताव राज्य मुख्यालय को भेजा है, लेकिन अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है.
दरअसल 3 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर के दरवाजे खोले गए थे. जिसमें 300 से अधिक लोगों ने दर्शन भी किए. उम्मीद यह भी की जा रही थी कि भादो महीने में हर सोमवार को यह परंपरा कायम रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सोमवार को मंदिर के दरवाजे नहीं खोले गए. हालांकि वहां के जिला प्रशासन ने इस बाबत पहले से तैयारियां कर रखी थी, लेकिन राज्य मुख्यालय से मंदिर खोलने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया गया. भादो महीने में किसान और व्यापारी वर्ग के लोग बड़ी संख्या में बैद्यनाथ धाम मंदिर में दर्शन करने आते हैं. इतना ही नहीं इस महीने में विशेषकर मिथिला इलाके से भी लोग आते हैं.
दुमका स्थित बासुकीनाथ धाम के दरवाजे खोलने को लेकर वहां के जिला प्रशासन ने बैठक कर एक प्रस्ताव भी बनाया है, जिसके तहत हर सोमवार को 6 घंटे मंदिर खोलने का उल्लेख किया गया है. इतना ही नहीं उम्रदराज श्रद्धालुओं को मंदिर न आने की हिदायत भी दी गई है. मंदिर आने वाले लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने का प्रस्ताव भी जोड़ा गया था. साथ ही डायबिटीज और ह्रदय रोग से पीड़ित लोग भी मंदिर में प्रवेश नहीं मिले, इसे भी प्रस्ताव में जोड़ा गया था.
इन दोनों मंदिर को खोलने को लेकर अंतिम निर्णय राज्य सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी लेगी. कमेटी में अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, पर्यटन सचिव पूजा सिंघल, स्वास्थ्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल, संथाल परगना प्रमंडल के डीआईजी समेत दुमका और देवघर के डिप्टी कमिश्नर और एसपी हैं.