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अनुबंधित प्रोफेसर को नियमित करने की उठ रही है मांग, अरसे से कर रहे हैं काम

रांची:झारखण्ड वाणी संवाददाता:राज्य के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. इस कमी को पूरा करने के लिए अनुबंध पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी और अब ये शिक्षक नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं. शिक्षकों की इस मांग का समर्थन विश्वविद्यालय प्रबंधन भी कर रहा है.

रांची: राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों के साथ-साथ रांची विश्वविद्यालय में भी शिक्षकों की कमी है और इस कमी को भरने के लिए अनुबंध पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी और अब अनुबंध पर नियुक्त शिक्षक नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस मांग का समर्थन विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से भी किया जा रहा है, क्योंकि अनुबंध पर काम कर रहे शिक्षक नियमितीकरण के तमाम योग्यता को पूरा कर रहे हैं.
झारखंड में आवश्यकता के अनुसार विश्वविद्यालयों में और कॉलेजों में प्रोफेसर नहीं है और इस वजह से पठन-पाठन में भी कई परेशानियां लगातार हो रही हैं. हालांकि शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए कांट्रैक्ट पर शिक्षकों की नियुक्ति जरूर हुई है. लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है. जबकि पिछले 6 वर्षों में छात्र-छात्राओं की संख्या दोगुनी हो गई है.
ऐसे में शिक्षकों की नियुक्ति कॉलेजों में ना होना पठन-पाठन को बाधित कर रहा है. प्रोफेशनल शिक्षक घटते गए और बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती गई. एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में वर्ष 2012 में 48 छात्र-छात्राओं पर एक प्रोफेसर उपलब्ध थे. 6 साल बाद 2018-19 यह अनुपात 73 हो गया. मतलब सभी कॉलेजों में 73 छात्र-छात्राओं पर एक टीचर उपलब्ध है.
आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है. इधर अनुबंध पर नियुक्त किए गए शिक्षक भी अब धीरे-धीरे घट रहे हैं, क्योंकि हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति के अलावा विभिन्न सरकारी सेक्टर के साथ-साथ निजी सेक्टर में भी बेहतर विकल्प मिलने से घंटी पर आधारित यह अनुबंधित प्रोफेसर विश्वविद्यालयों में पढ़ाना छोड़ दिया है. ऐसे में नियमित शिक्षकों के सीट के साथ-साथ अनुबंधित शिक्षकों के पद भी खाली होते जा रहे हैं और जो बचे हुए अनुबंध प्रशिक्षक हैं. वह लगातार नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं और उनकी इस मांग का समर्थन विश्वविद्यालय प्रबंधन भी कर रहा है.
रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी की माने तो रांची विश्वविद्यालय में नियुक्त जितने भी घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर हैं यानी कि अनुबंधित शिक्षक हैं वे नियमित शिक्षकों के तर्ज पर ही काम कर रहे हैं. उनकी योग्यता भी नियमितीकरण के अनुसार ही है. इस संबंध में राज्य सरकार को चिट्ठी भी लिखी गई है. इस दिशा में जल्द ही पहल की जाएगी.