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अन्तरराष्ट्रीय मैथिली परिषद ने अपनी 157वीं गुगल मीटिंग में विद्यापति स्मृति दिवस मनाया

अन्तरराष्ट्रीय मैथिली परिषद ने अपनी 157वीं गुगल मीटिंग में विद्यापति स्मृति दिवस मनाया

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शैलेन्द्र झा मुम्बई ने कहा कि विद्यापति ने समाज के वंचित वर्गों के लिए लिखा।
प्रो डा धनाकर ठाकुर वाराणसी ने कहा कि महाकवि विद्यापति ने घोर इस्लामी काल में भी निर्भीकता से कीर्तलता में लिखा कि ,’देबुर मांगिए मसीद बान्हि’ यानी वे तुर्क लोग देवस्थान को तोड़ मस्जिद बनाते हैं।
मिथिला के राजकवि महाकवि विद्यापति समन्वयवादी भक्तिकाल के प्रणेता थे जो राधाकृष्ण और शिव की आराधना साथ साथ करते हुए लिखा करते थे।भागवत भी तिरहुता में लिखा और शिव की नचारी भी । संस्कृत साहित्य में विशिष्ट योगदानकर्ता विद्यापति ने जनभाषा मैथिली में पद लिख अमरता पाई। संभवतः समस्तीपुर जिला में 1350 ईस्वी में जन्मे जिन्हें मधुबनी जिले के बिस्फी गांव का दान मिला।करीब सौ वर्षों तक अनेक राजा -रानी के प्रशासन में सहायक रहे।
प्रमोद कुमार झा ,अहमदाबाद ने कहा कि विद्यापति की कृतियां अमर हैं और उनका हम अनुकरण करें।
प्रो डा रतन कुमारी घोघरडीहा मधुबनी ने मंगल गान गाया, राजीव कुमार दरभंगा में संचालन और नरेन्द्र कुमार झा, पटना ने धन्यवाद ज्ञापन किया।