पटना: बिहार के बाढ़ और मोकामा में ‘छोटे सरकार’ के नाम से पहचान बनाने वाले बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर यूएपीए एक्ट के तहत संभवत देश में पहला मामला दर्ज किया गया है। अगर उनपर आरोप साबित होता है तो उनकी संपत्ति जब्त करने के साथ ही आतंकवादी भी करार दिया जा सकता है।
बाहुबली अनंत सिंह अपने अजीबोगरीब शौक के चलते हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। चाहे फिर वह बग्गी को लेकर हो या फिर दबाव डालकर दूसरे की मर्सिडीज इस्तेमाल करने को लेकर।इस बाहुबली का एक शौक घर में अजगर पालना भी है इनकी रसूख का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है काफी समय पहले एक फोटो सामने आई थी जिसमें बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार आनंद सिंह को हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए नजर आ रहे हैं।
अनंत सिंह के खौफ और रसूख के किस्से पूरे बिहार में सुनने को मिलते रहते हैं। साल 2007 में एक महिला से दुष्कर्म और हत्या के केस में बाहुबली विधायक का नाम आया था। जब इसके बारे में एक निजी समाचार चैनल के पत्रकार उनका पक्ष जानने पहुंचे तो सत्ता के नशे में चूर विधायक और उनके गुंडों ने पत्रकार की जमकर पिटाई की।
अनंत सिंह के आवास पर छापेमारी, एक पुलिसकर्मिय समेत आठ लोगों की गई थी जान।
इससे पहले अनंत सिंह के घर पर मोकामा में साल 2004 में जब बिहार पुलिस की एसटीएफ ने छापेमारी की तब दोनों तरफ से घंटों गोलीबारी हुई। दरअसल, अनंत सिंह ने महलनुमा बने अपने आवास में कई समर्थकों को शरण दे रखी थी जिससे पुलिस की छापेमारी में वह आसानी से बच जाए। इसके अलावा खुद को सुरक्षित रखने के लिए उसने एक विशेष कमरे का निर्माण भी कराया था। इस घटना के बाद अनंत सिंह सुर्खियों में आए।
इस गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी समेत अनंत सिंह के आठ समर्थक मारे गए। कहा जाता है कि इस घटना में विधायक को भी गोली लगी थी लेकिन वह फरार हो गया।
अपराध की दुनिया का बादशाह बनने के बाद अनंत सिंह ने सियासी गलियारों में भी अपनी पैठ बनानी शुरू की। इसी दौरान अनंत सिंह की मुलाकात नीतीश कुमार से हुई और 2005 में वह मोकामा से जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीत गए। इसके बाद साल 2010 में भी वह जेडीयू के टिकट पर मोकामा से विधायक चुने गए।
साल 2015 के चुनाव में लालू की पार्टी आरजेडी से गठबंधन के कारण जेडीयू ने सियासी नुकसान को देखते हुए अनंत सिंह का टिकट काट दिया। हालांकि अनंत सिंह निर्दलीय चुनाव में उतरे और जीत हासिल की। बड़ी बात यह है कि अनंत सिंह जैसे नामी अपराधी को राजनीति में लाने वाले नीतीश कुमार की छवि प्रदेश में सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध है।
अनंत सिंह और नीतीश की दोस्ती
अनंत सिंह और नीतीश कुमार की दोस्ती की नींव साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान पड़ी थी। उस समय नीतीश कुमार बाढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद और अटल सरकार में रेलमंत्री थे। नीतीश के खिलाफ आरजेडी-लोजपा ने बाहुबली सूरजभान को मैदान में उतारा था। उस चुनाव में अनंत सिंह ने नीतीश की खूब मदद की।
इसके अलावा एक जनसभा के दौरान अनंत सिंह ने नीतीश को चांदी के सिक्कों से तौला था। इसके बाद से ही अनंत सिंह नीतीश कुमार के करीबी बन गए और पूरे प्रदेश में उनकी तूती बोलने लगी। लेकिन साल 2015 में आरजेडी से जेडीयू की नजदीकियों के कारण अनंत सिंह किनारे कर दिए गए। वहीं से उनके बुरे दिन की शुरूआत हुई।
सम्बंधित समाचार
भाजपा जमशेदपुर महानगर के अनुसूचित जाति मोर्चा की जिला कार्यसमिति बैठक हुई सम्पन्न, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, सांसद विद्युत वरण महतो समेत अन्य नेतागण हुए शामिल, बूथों पर सक्रियता बढ़ाने पर पार्टी का जोर
बूथ सशक्तिकरण अभियान को लेकर पहली बार जमशेदपुर पहुंचे झारखंड प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी
18 एवं 19 मार्च को एग्रिको ट्रांसपोर्ट मैदान में होगा भव्य मिथिला महोत्सव का आयोजन