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आरयू के वीसी रमेश कुमार पांडेय ने कहा- आने वाले भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी नई शिक्षा नीति

रांची में बुधवार को नई शिक्षा नीति पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश कुमार पांडे ने प्रसन्नता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आने वाले भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी. इसी के साथ कहा कि जिस तरह नई शिक्षा नीति में डिजिटल मोड को शिक्षा व्यवस्था में व्यापक तरीके से जोड़ा जा रहा है, यह निश्चय से युवाओं को एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म देगा.

रांची: केंद्रीय कैबिनेट ने देश की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की नीति को लेकर एक प्रस्ताव में मंजूरी दी है. 21वीं सदी की जरूरत के लिहाज से गढ़ा गया यह शिक्षा नीति साढ़े तीन दशक बाद भारत के विद्यार्थियों के लिए होगा. इस नई शिक्षा नीति को लेकर कई शिक्षाविद अपना अपना राय दे रहे हैं. इसी कड़ी में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडे ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. नई शिक्षा नीति पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश कुमार पांडे ने प्रसन्नता जाहिर किया और कहा कि यह है प्रगतिशील और विकसित भारत की सोच साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से नई शिक्षा नीति में डिजिटल मोड को शिक्षा व्यवस्था में व्यापक तरीके से जोड़ा जा रहा है यह निश्चय ही आने वाले समय में भारत के युवाओं को एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म देगा. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से विश्वविद्यालय कुलपति शिक्षक और छात्रों को नई शिक्षा नीति में अधिकार संपन्न किया जा रहा है. वह एक न्यूट्रल वातावरण में ज्ञान को हासिल करने में विद्यार्थियों के लिए बहुत ही मददगार रहेगा.
इसी के साथ कुलपति प्रोफेसर ने कहा कि स्कूली शिक्षा में जिस प्रकार से स्थानीय भाषा में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था करने का प्रावधान है, वह क्रांतिकारी है. क्योंकि विदेशों में भी जो छात्र अपने स्थानीय भाषा में पढ़ाई लिखाई करते हैं. उनके सफलता की गुंजाइश सर्वाधिक होती है. उन्होंने आगे कहा नई शिक्षा नीति में छात्रों के यूनिक क्षमता को पहचानना और उसका संवर्धन करना बहुत बड़ी बात है. पढ़ाई मल्टीडिसीप्लिनरी और हॉलिस्टिक होगा रचनात्मक और गुणात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाएगा. मानवीय-संवैधानिक मूल्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
प्रति कुलपति प्रोफेसर कामनी कुमार ने नए शिक्षा नीति पर सरकार के प्रस्तावों का समर्थन करते हुए कहा कि जो प्रस्ताव है, वह समेकित भारत के जड़ों को जानना, भारत के गर्व को पुनः स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. शिक्षा व्यवस्था को स्वायत्त, अच्छी प्रशासन और इमपावर किया जाएगा. उन्होंने कहा टेक्नॉलॉजी का सदुपयोग छात्रों को चौबीस घंटे किसी भी समय अपने संबंधित विषय का ज्ञान प्राप्त करने में मददगार होगा. उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा उन्होंने छात्रों में ज्ञान के प्रवाह को मानवता और प्रकृति के लिए उपयोग हेतु शिक्षा में विविधता और समायोजन को बल दिया. जो कि नई शिक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण पहलू है.