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आईईडी का घेरा साफ हुआ तो खतरे में आ जाएंगे शीर्ष नक्सल नेता, पुलिस ने शुरू किया सफाई अभियान

आईईडी का घेरा साफ हुआ तो खतरे में आ जाएंगे शीर्ष नक्सल नेता, पुलिस ने शुरू किया सफाई अभियान

कोल्हाल में नक्सलियों से निपटने के लिए लिए पुलिस ने अब अपना तरीका बदला है. पुलिस अब डायरेक्ट हमला करने के बदले पहले उस इलाके में लगे आईईडी बम को निष्क्रिय करेगी.
रांचीः पिछले दो माह से झारखंड के कोल्हान में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच घमासान मचा हुआ है. नक्सलियों के आईईडी बम सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बने हुए हैं. वहीं येही बम नक्सलियों के लिए एकमात्र सुरक्षा कवच. लेकिन अब झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल मिलकर नक्सलियों की इस सुरक्षा कवच को नेस्तनाबूद करने की प्लानिंग कर चुके हैं. अब नक्सलियों से सीधे मुकाबले की बजाय पहले आईईडी बमों को निष्क्रिय करने का महाअभियान चलाया जा रहा है.
कोल्हान फतह के लिए सुरक्षाबलों को नक्सलियों के द्वारा लगाए गए लगभग 350 आईईडी बमों को नष्ट करना होगा. एक के बाद एक तेरह जवानों के विस्फोट में घायल होने के बाद झारखंड पुलिस ने कोल्हान में चल रहे नक्सलियों के खिलाफ जंग में अपनी रणनीति में व्यापक बदलाव किया है. झारखंड पुलिस के रणनीतिकार यह जानते हैं कि अगर वह अचानक जंगल में मूव करेंगे तो भारी नुकसान हो सकता है, ऐसे में यह जरूरी है कि जितने भी आईईडी बम लगे हुए हैं उनको निष्क्रिय कर दिया जाए.
दरअसल पिछले दो महीने से शीर्ष नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने घेर रखा है. उन तक ना ठीक से खाने पीने का सामान पहुंच रहा है और ना ही दूसरे तरह के मदद ऐसे में जो विस्फोटक उनके पास पहले से जमा हैं उसी के बलबूते नक्सली सुरक्षा बलों से लोहा ले रहे हैं. सुरक्षा बल यह जानते हैं कि अगर वे 350 के लगभग आईईडी बमों को नष्ट कर देंगे तो दोबारा नक्सलियों के लिए इन बमों को तैयार करना बेहद मुश्किल भरा काम है. क्योंकि उनके पास बमों के निर्माण के लिए कच्ची सामग्री भी बेहद कम है.
मिली जानकारी के अनुसार नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों को नष्ट करने के लिए एरिया डोमिनेशन का काम शुरू कर दिया गया है. 1000 से ज्यादा सीआरपीएफ, कोबरा और जिला बल के जवानों को सिर्फ इसी काम के लिए ऑपरेशन में लगाया गया है.
जवानों का काम सिर्फ यही है कि वह बम निरोधक दस्ते को सुरक्षित आईईडी तक ले जाएंगे. जिसके बाद बीडीएस टीम उन्हें निष्क्रिय करेंगी. इस दौरान पूरे जंगल में सर्च ऑपरेशन चलता रहेगा. ताकि नक्सली बीडीएस टीम पर हमला न कर सके.
दरअसल झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त बलों ने बूढ़ापहाड़ के बाद सारंडा कैप्चर करने की मुहिम शुरू कर दी है, जबकि दूसरी तरफ नक्सली किसी भी कीमत पर सुरक्षा बलों को रोकने के लिए आईईडी बमों का प्रयोग कर रहे हैं. चाईबासा के इस इलाके में पिछले 50 दिनों में सात बार आईईडी ब्लास्ट कर चुके हैं. इसमें एक ग्रामीण सहित 15 सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं. दो घायल जवानों को रांची से एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स में इलाज के लिए भेजना पड़ा है.
बूढ़ापहाड़ को नक्सलमुक्त करने से उत्साहित संयुक्त बलों ने अब माओवादियों के बड़े ठिकाने के तौर पर चिन्हित सरजामबुरू के आसपास स्थायी कैंप का निर्माण शुरू कर दिया है. सुरक्षाबलों ने सरजामबुरू के समीप टोंटो के इलाके के लुईया और हाथीबुरू गांव में कैंप का निर्माण शुरू किया है. इन इलाकों में ही माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, केंद्रीय कमेटी सदस्य पतिराम मांझी उर्फ अनल का दस्ता सक्रिय है. सारंडा के इलाके को माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का मुख्यालय माना जाता है. ऐसे में इस इलाके में नक्सलियों की पकड़ कमजोर होने से कई राज्य का माओवादी आंदोलन प्रभावित होगा.
टोंटो के सरजामबुरू इलाके में पुलिस ने माओवादियों की काफी मजबूत घेराबंदी की है. इस इलाके में कई माओवादी नेता पुलिस की घेराबंदी में हैं. यही कारण है कि इस इलाके में लगातार आईईडी ब्लास्ट और मुठभेड़ की घटनाएं हो रही हैं. दरअसल पुलिस मुख्यालय यह जानता है कि इन इलाकों में कैंप के निर्माण से रणनीतिक तौर पर सुरक्षाबलों को काफी फायदा मिलेगा. यही वजह है कि नक्सलियों के लगातार हमलों के बावजूद सुरक्षा बल मजबूती के साथ जंगलों में टिके हुए हैं.