झारखण्ड वाणी

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सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड कार्यालय  के जन वितरण प्रणाली की दुकानों में अभी तक जनवरी माह का राशन आबंटन नहीं किया गया

सरायकेला खरसावां- सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड कार्यालय  के जन वितरण प्रणाली की दुकानों में अभी तक जनवरी माह का राशन आबंटन नहीं किया गया है कल माह का अंतिम तारीख है जन वितरण प्रणाली दुकानदारों  का यह कहना है कि हरेक माह की अंतिम तिथि तक ही उपभोक्ताओं को अपना राशन प्राप्त कर लेना होगा नहीं तो राशन लेफ़्स हो जायेगा  सवाल यह है की ऐसा क़ानून कहां तक ठीक है,जानकारी हो की क्या जिस व्यक्ति का राशन लेफ़्स हो जाता है,तो क्या वह राशन वापस कर दिया जाता है वैसा राशन किस मद में खर्च होता है, वैसे उपभोक्ता जो माह के अन्तिम् तरिख् में भी नहीं ले सकता है उसका राशन लेफ़्स कर देना विभागीय गलती है ऐसा करना बिल्कुल गलत है जिस पर रोक लगाने की आवश्यकता है क्योंकि गरीब का अनाज लेफ़्स कर देना स्वार्थ सिद्धि का प्रतिक है, उपभोक्ताओं का यह भी कहना है की राशन दो किलो काटकर दिया जाता है, यह बात सत्य भी है, वजन में कम देने की सूचना बार बार सुनने को मिलता है जिस वजह से दुकानों को सरकारी कांटा भी उपलब्ध कराया गया है,लेकिन उससे बेहतरीन गेंहू और चावल को कांटा से देने के बजाय गेंहू और चावल का अलग अलग मापक उपलब्ध कराया जाय जो जनहित मे जरूरी है कांटा में धोखा होने की संभावना हमेशा बनी रहती है,स्टोर वाले से ज्यादा पूछ ताछ करने से दूर दराज स्टोर में कार्ड ट्रांसफर की भी धमकी मिलने की सूचना प्राप्त हुई है,जो की गलत बात है,ऐसा देखा भी गया है उपभोक्ताओं को नजदीकी स्टोर से ही सामान मिलने चाहिए दूर दराज में ट्रांसफर करना एक तरह का उत्पीडन है, जिस पर की उपायुक के द्वारा कार्रवाई करने की आवश्यता है कुछ जनवितरण प्रणाली दुकानदारों का  यह भी कहना है कि गोदम् से ही कम राशन दिया जाता है ऐसा है तो इस पर भी जाँच बैठाने की,और् कार्रवाई किये जाने कि आवश्यकता है गरीब का राशन उचित वजन का मिले इस पर सरकार को और जिला अधिकारी को गंभीर रहने की आवश्यकता है और झारखण्ड में ग्रीन कार्ड भी आवंटन किया गया है,लेकिन उसमें राशन नहीं दिये जाने की भी सूचना प्राप्त हुई है,ऐसा क्यों सरकार की अवगुणता का परिचय है, गरीब का अधिकार कहने वाली सरकार   किरासन तेल का भी पेट्रोल के जैसे दर बढ़ाया गया है,और जन वितरण प्रणाली दुकानदारों में मिलना भी बंद कर दिया गया है,आखिर सवाल है की गरीब का अधिकार किरासन तेल् कहां गया? वह भी कम दर के साथ उपलब्ध कराने की सरकार की ज़िम्मेदारी है

रपट जगन्नाथ मिश्रा